Anchal Kumari

Dec 19, 20212 min

सालों से टूटी हुई है पुलिया, तैर कर नदी पार करते हैं लोग

चाहे बात राज्य की हो या देश की, विकास होने का बोलबाला सब तरफ़ है। सभी सत्ताधारी दल विकास करने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही बयाँ करती है। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की कोयला खदानों से पूरे मध्य भारत को बिजली मिलती है, लेकिन इसी कोरबा जिले में ऐसे कई गाँव हैं, जहाँ विकास के कदम अभी तक नहीं पड़े हैं।

ग्राम पंचायत नवापारा के लोग आज भी नदी में तैरकर अपने गाँव से बाहर जाते हैं। गर्मियों के मौसम में तो आने-जाने में कोई असुविधा नहीं होती, क्योंकि तब नदी-नाले सूखे हुए होते हैं, लेकिन जैसे ही बरसात आती है तब इस पंचायत के कई गाँवों का सम्पर्क पूरी दुनिया से कट जाता है। सालों से इस पंचायत के लोग अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हुए दूसरे गाँवों में जाते हैं।

जान जोखिम में डालकर नदी पार करते ग्रामीण

नवापारा पंचायत से नरसिंह गंगा नदी बहती है, जिस पर बना पुल टूटा हुआ है, इसी के कारण यहाँ के ग्रामीण नदी में घुसकर पार होने को मजबूर हैं। बगल के चैतमा स्कूल में गाँव के कई विद्यार्थी पढ़ते हैं, वे भी रोज़ खतरा मोल लेते हुए नदी पार कर स्कूल जाते हैं। जब नदी का बहाव तेज़ होता तो छात्र-छात्राएँ स्कूल, कॉलेज जा नहीं पाते हैं।

नदी पार कर स्कूल जाती छात्राएँ

ग्रामीणों तथा पंचायत के सरपंच से बातचीत करने पर, प्रशासन तथा सरकार की लचर व्यवस्था के बारे में पता चल। ग्रामीणों ने कई बार विधायक से भी गुहार लगाई लेकिन आश्वासन के सिवा अभी तक कोई मदद नहीं मिली है। पटपरा, देउरभाठा, डोंड़की, नवापारा आदि गाँव के ग्रामीणों ने कहा उनकी नदी पर पुल न होने के कारण काफ़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, चुनाव के समय सभी राजनीतिक पार्टियों के लोग उनके हिमायती बनकर उनके साथ खड़े होने का ढोंग तो करते हैं मगर उनकी इस समस्या का समाधान कोई नहीं कर रहा है।

सरपंच जी ने बताया कि उन्होंने पुल बनवाने के लिए कई बार आवेदन दिया, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है। विद्यार्थी बताते हैं कि, वे नदी पार करके स्कूल जाने को विवश हैं, क्योंकि यही एक रास्ता है जिनसे वे जल्दी स्कूल पहुँचते हैं।

पुल, सड़क, बिजली, पानी, भवन आदि कुछ मूल आवश्यकताएँ हैं जिनकी पूर्ति के बिना विकास के दावे खोखले हैं। आशा है प्रशासन के लोग, गाँव के लोगों को हो रही इस असुविधा को पुल बनाकर जल्द से जल्द दूर करेंगे।

नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।