पत्ता गोभी बहुत अच्छी और बहुत ताजा सब्जी होती है और इसे आप बहुत अलग-अलग तरह की सब्जियाँ बनाकर खा सकते हैं। पत्ता गोभी खाने से शरीर स्वस्थ्य रहता है।त्रिपुरा में सर्दियों के मौसम में सभी आदिवासी किसान पत्ता गोभी की खेती करते हैं। पत्ता गोभी की खेती ज्यादातर धान की ज़मीन पर की जाती हैं।
यह है पत्ता गोभी की खेती
पत्ता गोभी की खेती कब करते हैं, कौन करते हैं और कैसे करते हैं?
पत्ता गोभी की खेती करने के लिए यहाँ के आदिवासी लोग धान की खेती इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि त्रिपुरा में ज्यादातर सर्दियों के मौसम में पहाड़ों के आसपास की धान खेती का पानी बिल्कुल अच्छी तरह से सूख जाता हैं। इसीलिए यहाँ के किसान उसी सुखे हुए धान की खेती में पत्ता गोभी की खेती करते हैं। यहाँ के आदिवासी लोग सूखे हुए धान की खेती में पत्ता गोभी की खेती करके बहुत सारे पैसे कमाते हैं। पत्ता गोभी की खेती में पत्ता गोभी का चारा लगाने के बाद ३० से ३५ दिन लग जाते हैं। पत्ता गोभी बड़ा होने के बाद बाजारों में बेचा जाता हैं। यहाँ के सभी आदिवासी किसान पत्ता गोभी की खेती करते है, जिससे बाजारों में पत्ता गोभी का दाम बहुत कम होता हैं। एक पत्ता गोभी का वजन कम से कम 2 से 2.5 किलो तक होता हैं, पर यहाँ गाँव के बाज़ारों में पत्ता गोभी को किलो के हिसाब से नहीं बेचा जाता और एक पत्ता गोभी का दाम ₹10 से ₹15 रहता है।
(यह है हरी पत्ता गोभी)
दो प्रकार की गोभी
त्रिपुरा में पत्ता गोभी दो प्रकार में पाई जाती हैं – एक है हरे रंग की और दूसरी है गुलाबी रंग की। इन दो रंगों की पत्ता गोभी का स्वाद भी एक जैसे ही है सिर्फ, इन दो पत्ता गोभी का रंग अलग है। त्रिपुरा में ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं जो पत्ता गोभी को कच्चा खाते हैं। कहते हैं इसे कच्चा खाना सेहत के लिए अच्छा हैं। त्रिपुरा में हरे रंग की पत्ता गोभी तो लगभग सभी जगह में पाई जाती है, लेकिन गुलाबी रंग की पत्ता गोभी बहुत कम पाई जाती हैं।
यह है गुलाबी रंग की पत्ता गोभी
पत्ता गोभी को त्रिपुरा में भी यहां के आदिवासी लोग बहुत अच्छी तरह से उगाते हैं। त्रिपुरा राज्य में बहुत लोग है, जिन्होंने बचपन से लेकर बूढे होने तक खेती की है। इन किसानों की वजह से आज हम लोग बेफिक्र जी रहे हैं। इन्हीं किसानों की वजह से आज हम लोगों को अच्छे-अच्छे सब्जियाँ मिल रही हैं। आदिवासी किसान लोग हम सब के लिए इतनी अच्छी सुंदर-सुंदर सब्जियाँ उगाते हैं।आप लोग भी हमारे देश के किसानों की मदद कीजिए, ताकि हमारे देश के किसान और भी प्रमाण में सब्जियाँ उगा सके और अपना भी पालन पोषण कर सकें।
About the author: Samir Debbarma lives in the Khowai district of Tripura. He has finished his graduation and is currently looking for a job in the government. His dream is to become a police officer. In his free time, he likes listening to Hindi classical music and practice art.
यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था
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