आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार कुछ न कुछ काम होते ही रहते हैं जिससे गाँव में रहने वाले लोगों को फायदा मिल सके। अभी बहुत सी ऐसी योजनाएँ बनाई जा रही हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पैसे कमा सकें। आइए जानते हैं कि ऐसी कौन सी योजना है जिसके द्वारा गाँव में रहने वाले लोग बहुत प्रभावित हो रहे हैं।
आप सभी जानते हैं कि कुछ महीनों पहले लॉकडाउन होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। इस परेशानी को देखते हुए सरकार द्वारा एक योजना चलाई गई, जिसमें गाँव के लोग गोबर बेचकर पैसे कमा सकते हैं। हमारे ग्राम पंचायत बिंझरा के रोजगार सहायक हैं रोहड़ी कुमार जी। उनकी उम्र 30 साल है। रोजगार सहायक की जिम्मेदारी होती है पंचायत में आए हुए सभी कामों के बारे में गाँव के लोगों को बताना और उन कामों को गाँव के लोगों द्वारा संपन्न कराना जिससे गाँव में रहने वाले लोगों को भी कुछ फायदा हो सके। इसी तरह छत्तीसगढ़ के गाँवों में गोबर बिक्री शुरू की गई है। गाँव में रहने वाले सभी व्यक्ति गाय के गोबर को गाँव के पंचायत में बेच सकते हैं। गांव वालों ने जानकारी दी कि इस योजना में 2 रूपये किलो के हिसाब से गोबर की बिक्री की जा रही है। गाँव वालों ने यह भी बताया कि सप्ताह में शनिवार और रविवार को छोड़कर सभी दिन गोबर बिक्री की होती है। बिक्री किए हुए गोबर का जो पैसा बनता है वह सप्ताह में लोगों के खाते में दिया जाता है।
लोगों से ख़रीदे गए गोबर को एक जगह इकट्ठा किया जाता है। गोबर को इकट्ठा करने के लिए कंपोस्ट खाद के साँचें बनाए गए हैं। गाय के गोबर को कंपोस्ट खाद के साँचे में डाल दिया जाता है। गाँव के हर एक मोहल्ले में कंपोस्ट खाद का सांचा बनाया गया है ताकि गाँव में ही गोबर को इकट्ठा किया जा सके क्योंकि गांव से बाहर जंगल के किनारे गौशाला को बनाया गया है। तो वहां तक गांव वाले गोबर को नहीं ले जा सकते, क्योंकि गांव से लगभग 5 किलोमीटर दूर गौशाला को बनाया गया है।
गौशाला उपलब्ध होने के फायदे:- गाँव वालों को गाँव में गौशाला उपलब्ध होने के बहुत सारे फायदे हो रहे हैं। गौशाला में गोबर का खाद बनाया जा रहा है और गाँव के लोग और समूह के सदस्य मिलकर गोबर का खाद बना रहे हैं और उस खाद को ऊंचे मूल्य में बेचकर पैसा कमा रहे हैं जिससे गाँव के लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। गाँव के लोगों को इससे जीवन-यापन में मदद मिल रही है। आप सभी जानते हैं कि गाँव में रोजगार की बहुत ज्यादा समस्या होती है, लोग रोजगार के तलाश में एक जगह से दूसरी जगह भटकते रहते हैं। अभी कुछ समय पहले महामारी की वजह से गाँव के लोगों को रोजगार मिल पाना बहुत ज्यादा मुश्किल हो गया था। लोग काम की तलाश में दर-दर भटक रहे थे। इसी समस्या को देखते हुए सरकार द्वारा महामारी के बीच में ही गोबर बिक्री की योजना को शुरू किया गया। इस योजना के कारण गाँव के लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता देखने को मिली।
अब गाँव के लोग केमिकल वाले खाद को फसल पर उपयोग नहीं करना चाहते। यहाँ के लोगों कहना है कि केमिकल वाले खाद का उपयोग करने से फसल अच्छे से नहीं हो पाता है। अब दुकानों में भी केमिकल खाद बंद हो चुका है। लोग ज्यादातर फसल में सिर्फ गोबर के खाद का उपयोग कर रहे हैं। सभी क्षेत्रों में गोबर के खाद की बहुत ज्यादा मांग होने लगी है।
इतना ही नही, गोबर से रंग-बिरंगे दिये भी बनाएं जा रहे हैं जिसमें कछुआ के आकार का दीया भी बनाया जा रहा है। यहाँ बनने वाली चीजों में गोबर का गुल्लक भी शामिल है। गोबर से बने दिये की मांग दूसरे जिलों में भी बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। अब गाँव और शहरों में त्योहारों के दिन सिर्फ गोबर के दिए का हीं प्रयोग किए जाते हैं। गोबर के दिये का उपयोग करने से पर्यावरण पर नुकसान नहीं होता है। गोबर के दिये को जलाने के बाद दिये के बचे अवशेष को फूलों के गमलों में डाल दिया जाता है, जो फूल के पौधों के लिए बहुत अच्छा होता है, जला हुए गोबर का दिया खाद के रूप में उपयोग आता है। गोबर के दिये बनाने के पीछे उद्देश्य गाँव वालों को रोजगार देना है। ताकि वे उस दिये को बेचकर अपना जीवन-यापन कर सकें और रोजगार के लिए इधर उधर न भटकें।
आप सभी जानते हैं कि गाँव में पहले ज्यादातर गोबर का उपयोग खाद के रूप में सिर्फ फसल के लिए ही किया जाता था। लेकिन अब धीरे-धीरे गोबर के दिये का भी उपयोग किया जाने लगा है, जिससे गाँव में रहने वाले लोगों को रोजगार प्राप्त हो सके और साथ ही साथ पर्यावरण सुरक्षित रह सके।
अगर आपके घर में भी गाय-भैंस का गोबर होता है तो आप भी बहुत सुंदर रंग-बिरंगे दिये बनाकर बेच सकते हैं, जिससे आप पैसा भी कमा सकते हैं और दिए खरीदने में होने वाले खर्च से भी बच सकते हैं।
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This article is created as a part of the Adivasi Awaaz project, with the support of Misereor and Prayog Samaj Sevi Sanstha.
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