छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा ग्राम सरभोका में 25 साल के बाद विकास की आशा की नई किरण झलक रही है। श्री शिवभारोष लकड़ा (गुरसिया क्षेत्र क्रमांक ०९ से जनपद) ने इस साल जनपद की कुर्सी जीत ली, जिससे गाँव के लोग बहुत खुश है। क्षेत्र क्रमांक ०९ में पाँच पंचायत आते है- रसियां, मानिकपुर, सलिहाभाठा, रिंगनियां और सरभोका। इस जीत ने सरभोका में, जहाँ कई सालों से किसी ने विकास के लिए कुछ ज़्यादा काम नहीं किया था, एक नई आस भर दी है।
श्री शिवभारोष लकड़ा को बधाई देते हुए गाँव के लोग
पिछले 2 बार नहीं जीत पाए शिवभारोष ज़ी चुनाव
श्री शिवभरोष लकड़ा जी ने बताया की, “मैंने तीन पंचवर्षी चुनाव लड़े है। एक पंचवर्षी में सरपंच पद की दावेदारी की थी, मैं दूसरा नम्बर प्राप्त कर असफल रहा। पिछली पंचवर्षी में जनपद पद की दावेदारी की थी, जिसमें मैं 600 वोट से तीसरा स्थान प्राप्त कर असफल रहा।” इन चुनावों में असफलता के कारण बताते हुए उन्होंने कहा, “पहले-पहले राजनीति में आने एवं राजनीति में परिपक्व ना होने के कारण मैं सफल नहीं हो पाया। और तो और एक ही क्षेत्र से 2-3 प्रत्याशी लड़ रहे थे।”
जब मैंने उनसे सरपंची चुनाव और जनपद चुनाव में लड़ने का कारण पूछा, उन्होंने बताया कि, “मैं और मेरा मित्र दोनों साथ में रहते हैं एवं गांव के विकास में हमेशा आगे रहते हैं। हमने सरपंची चुनाव और जनपद चुनाव की एक साथ तैयारी की और दोनों ही एक साथ सफल हुए।” श्री शिवभरोष लकड़ा अपनी चुनावी रणनीति के बारे में बताते है, “मैंने इस पंचवर्षी में उन प्रत्याशियों से संपर्क किया जिन्होंने पिछले पंचवर्षी में जनपद पद की दावेदारी की थी। उनसे मैंने कहा कि इस क्षेत्र से एक ही प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे, आप हो या मैं। उन्होंने मुझे अपना समर्थन दिया, की इस बार आप ही फाइनल प्रत्याशी हो। हमें पता था की इस क्षेत्र में अधिक प्रत्याशी होने पर हम जीत नहीं पाएंगे। इसलिए इस क्षेत्र से मैं एक ही प्रत्याशी, आपसी समझौता और पूरी तैयारी के साथ में चुनाव मैदान में उतरा। इस रणनीति में मैं सफल हुआ।”
पिछले 25 सालों से गाँव में विकास की गती बहुत कम
“यह मेरी जीत नहीं, मेरी पाँचो पंचायत के जनता की जीत है। 25 वर्षों से इस क्षेत्र में विकास की एवं जनपद (पद) की अकाल पड़ी थी, जिसके कारण इस क्षेत्र में विकास इतनी धीमी एवं नीचे स्तर पर चल रहा था। आज मुझे जनता ने चुन के लाया है, तो मैं हमेशा ही जनता के विकास लिए आगे रहूँगा।”
“मैंने लोगों को समझाया कि आज हमारे क्षेत्र में विकास की गति कम हो गई है, और यदि लोग मुझे अपना सेवक बनाएँगे, तो मैं उनको निराश नहीं करुंगा। आज जनता के कई कार्य है जिनसे जनता त्रस्त और परेशान हैं, मैंने उन कठिनाइयों को हल करने के लिए काम किया। हम एक चित हो कर, एक मत होकर लड़ाई को लड़ेंगे, ऐसी सोच लेकर मैं उनके पास गया और यह सोच मेरी कारगर साबित हुई और मुझे जनता ने बहुत सारे वोटों से जिताया।”
इस चुनाव के पड़ाव के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “हमारे पास न तो धन है न बल है; मैं सिर्फ प्रेम व्यवहार के साथ उनके पास गया और उन्हें अपनी ओर आकर्षित किया। और मैं आज तो सेवक बना हूँ, लेकिन मैं 15 वर्षों से राजनीति से जुड़ा हुआ हूँ। यह अनुभव लेके मैं लोगों के पास गया। मेरे गांव के मतदाता बंधुओं ने मुझे सहयोग दिया और उन्हीं की बदौलत मैं आज चुनाव जीता हूँ। मैं उनके हर छोटे-बड़े दुःख में आगे आऊंगा, मैं उनके साथ रहूँगा।”
आदिवासी कला को बढ़ावा देने का दिया वादा
श्री शिवभरोष लकड़ा जिस क्षेत्र से आते है, वह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहाँ के आदिवासियों की अलग भाषा है, कला है, संस्कृति है। शिवभरोष ज़ी खुद उरांव आदिवासी समाज से है। इसपर बात करते हुए वह बताते है, “मेरे क्षेत्र में उरांव, बिंझवार, गोंड, धनुहार और कई आदिवासी समाज है। इन समुदायों की कला लोगों तक पहुँचाने के लिए मैं उन्हें बढ़ावा जरूर दूँगा। समाज ही मेरे लिए सर्वोपरि है।”
उन्होंने अपनी उरांव भाषा में लोगों से बात करते हुए कहा, “मैं उरांव समाज से हूँ, लेकिन मैं अन्य आदिवासी समाज जैसे बिंझवार समाज, गोंड़ और धनुहार समाज के लोगों को मैं प्रणाम करता हूँ और लाख लाख धन्यवाद देता हूँ की इन पाँचों पंचायत की जनता ने मुझे हर एक चीज से मदद की है- अपने वोट से और अपने आशीर्वाद से।”
गाँव के युवा मतदायक बनाफर
पीने का पानी, अच्छी सड़के, यह है गाँव की जनपद से अपेक्षाएँ
श्री बनाफर, सरभोका के निवासी जो गाँव के युवा मतदायक है, गाँव के पिछले जनपद चुनाव के बारे में और अपनी अपेक्षाओं के बारे में बताते है। “हमने ऐसे कई जनपद चुने है, जिन्होंने हमारे क्षेत्र में विकास के बारे में तो सोचा नहीं, लेकिन जीतने के बाद वह यहाँ कभी आए भी नहीं। तो हम एक जनपद सदस्य से यही उम्मीद रखते हैं की वे हमारे क्षेत्र में विकास करे। हमारे गाँव की गलियों में कीचड़ हो जाता है, गाँव के लोगों एवं स्कूल जाने वाले बच्चों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए वह गाँव की गलियों को ठीक से बनवाएँ, पीने के पानी की अच्छी व्यवस्था करें एवं गर्मियों के दिनों में पानी की कमी, जिसके कारण मवेशियों की अकाल मृत्यु हो जाती है इसके लिए डबरी, तालाब बनवाएँ। जो तालाब सुख जाते है, उस तालाब का गहरिकरण हो। ये सब छोटी छोटी आवश्यकताएं है गाँव की, ऐसी आवश्यकताओं की उत्तम व्यवस्था होनी चाहिए। इस तरह का विकास हम चाहते हैं।”
यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है।
यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था
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