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खेलों को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी बच्चों को दिया गया तीरंदाजी का प्रशिक्षण

कमार भुंजिया जाति के बच्चे ज्यादा रूचि लेते हैं क्योंकि इनकी जाति तीर कमान चलाने का अनुभव रखती है

चयनित छात्रों को मिलेगा आगे अभ्यास करने का अवसर

खेल बच्चों के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके मद्देनज़र छत्तीसगढ़ में आदिवासी और गैर-आदिवासी बच्चों को फुलकर्रा हाई स्कूल में तीरंदाजी की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें 9 से 17 साल के आदिवासी बालक एवं बालिकाएं जो सही जगह निशाना लगा सकते हैं उनका चयन किया जाना है । चयन होने पर उसे राज्य स्तर पर खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। राज्य स्तर में सिलेक्शन होने पर उस बच्चे की पढ़ाई-लिखाई एवं स्कूल की फीस प्रशासन स्तर पर की जाएगी । यह कार्यक्रम जिलाधीश के निर्देशानुसार किया जा रहा है ।


फुलकर्रा स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा दिनांक 18 से 25 फरवरी 2021 के बीच कार्यक्रम किया गया। जिसके शुभारंभ के लिए जिला सदस्य श्री फिरतु राम कवंर जी एवं ग्राम पंचायत के सरपंच उपस्थित रहे । क्षेत्र के अलग-अलग गांव से बच्चे इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए । तीरंदाजी के लिए कमार भुंजिया जाति के बच्चे ज्यादा रूचि ले रहे थे क्योंकि इनकी जाति तीर कमान चलाने का अनुभव रखते हैं। सभी बच्चों को अभी अभ्यास करवाया जा रहा है।

तीरंदाजी के लिए मैदान में उतरना

सबसे पहले तीरंदाजी के लिए बच्चे का नाम चयन किया जाता है । चयन किए हुए बच्चे को मैदान में उतार कर 50 मीटर दौड़ना पड़ता है, उसके बाद बच्चे को तीर कमान कैसे पकड़ते हैं, और कहां पर निशाना लगाया जाता है, इसके बारे में बताया गया। 9 से 14 साल के बालक बालिकाएं के लिए 20 मीटर की दूरी पर एक बोर्ड होता है और 14 से 19 साल के बच्चों के लिए 30 मीटर की दूरी पर बोर्ड बोर्ड लगाया जाता है जो कि नारियल के छिलकों से चौकोर या गोलाकार बनाया जाता है। उसके बीच में ड्राइंग शीट के ऊपर पीला, लाल, नीला एवं काला रंग से गोलाकार चिन्ह बनाया जाता है।


उस चिन्ह पे निशाना लगाना रहता है और उसे रखने के लिए स्टेफनी की जरूरत पड़ता है। खिलाड़ी को लक्ष्य पर रखे बीच के गोले पर निशाना लगाने पर 100 अंक मिलते हैं जो कि पीले रंग के होते हैं। लाल रंग के लिए 50 अंक एवं काले रंग के लिए 20 अंक मिलते हैं तथा आसमानी कलर में 10 अंक दिया जाता है। जिस किसी का निशाना अच्छा रहता है उसका सिलेक्शन किया जाता है।

धनुष की बनावट

साधारण धनुष के मुक़ाबले पेशेवर खेल के धनुष की बनावट कुछ अलग होती है। बीच में लकड़ी का फ्रेम रहता है और ऊपर से नीचे तक बांस की डंडी होती है जिसे मोड़ करके रस्सी से बांध दिया जाता है। साधारण धनुष एक ही लकड़ी का बना होता है जबकि खेल का यह धनुष लकड़ी और बांस से बनाया जाता है। इसमें स्टील का फ्रेम भी लगा हुआ होता है ।


सही निशाना लगाने का नियम

कोई भी तीरंदाज अपनी हाइट के हिसाब से तीर कमान बनाए ताकि उसे खींचने में आसानी हो जिससे बैलेंस भी नहीं बिगड़ता । छोटे बच्चे को बड़े तीर कमान पकड़ा दे तो वे धनुष की वजन नहीं संभाल सकते। तीर में जो पंख लगा हुआ होता है वे जीर्ण शीर्ण ना रहे। निशाना लगाते समय एक आंख को बंद करके तीर की नोक मे मिलाकर उस वस्तु को टारगेट करें जिसे हम निशाना साध रहे हैं फिर उसे एक बार में खींच कर छोड़ दें।


जरुरि सावधानी

1. तीर और कमान को चेक कर ले ,

2. जिस दिशा में तीर कमान चला रहे हैं ,उधर कोई व्यक्ति या जीव जंतु ना रहे ।

3. नजर निशाने पर होनी चाहिए ।

4. लाइन के बीचो बीच सही पोज में खड़े होना चाहिए।

5. सही निशाना जमा कर एक बार में तीर को खींच कर छोड़ देना चाहिए।

6. अगर अच्छा बैलेंस बनाना है तो हाथ के साथ तीर कमान को बांध देते हैं ताकि बैलेंस ना बिगड़े।


अतीत में, लोग धनुष और तीर का उपयोग करके युद्ध और शिकार करते थे। आज इसे एक ओलंपिक खेल के रूप में भी प्रदर्शित किया जा रहा है।


यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है।

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