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जानिए औषधीय गुणों से भरपूर चमत्कारी आक के पौधे के बारे में

आदिवासी अपने बीमारियों का इलाज उनके आस-पास मौजूद पेड़ पौधों और जड़ी-बूटियों से कर लेते हैं। ऐसा ही एक बहुउपयोगी पौधा है आक दूत या मदार, यह एक औषधीय पौधा होता है। यह पौधा गाँव के आस पास बंजर जमीन, खुले तथा शुष्क क्षेत्र में अपने-आप उगता है। यह पौधा ज्यादा बड़ा नहीं होता है, इसकी पत्तियां देखने में बरगद के पत्ती जैसे मोटी होती हैं। इसकी पत्तीयां अन्य पौधा की तरह पूरी हरी नही होती हैं, ये थोड़े भूरे होते हैं और इसका फुल सफेद तथा बैगनी रंग के होते हैं। इसके गुणों के कारण इसे चमत्कारी पौधा के नाम से जाना जाता है।


ग्राम पंचायत बांझीबन के सिरकी कला निवासी समायन सिंह कंवर ने हमें बताया कि "आक के पौधे के द्वारा कई परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है, हमारे गाँव के गर्म जलवायु वाला बंजर एवं खुले क्षेत्र में पाए जाने वाले आक के पौधों के द्वारा हमारे जीवन की कई समस्याओं का इलाज आसानी से किया जा सकता है।" उन्होंने हमें आगे बताया कि आक के पौधे से निम्न बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।

आक का पौधा

शरीर में विभिन्न प्रकार का दर्द होना:- इस समस्या के लिये आक के पत्ते को लेना है उसके बाद एक बर्तन में देसी घी लेना है फ़िर उसे गर्म करना है ऐसा करने से उसके औषधी युक्त तेल बाहर निकल जाता है जिसे आप जहाँ दर्द हो रहा है वहाँ 5 से 10 मिनट अच्छे से हल्के हाथों से मसाज करें और कान में दर्द हो रहा है तो अपने कान में दो तीन बून्द डाल दें उसके बाद 10 से 15 मिनट आराम करें। पैर में हुई सूजन या चोंट में, इस तेल को हल्का गर्म करके उसे लगा कर उसे सेंकना है यह कार्य 3 से 4 दिन करने से दर्द ठीक हो जाता है।


गठिया रोग :- इस रोग के लिये आक के पत्ते को अच्छे से पीस लें फिर उसे सरसों के तेल में में पका लें उसके बाद जहाँ गठिया हुआ है, चाहे वह घुटना हो या कमर आक के पत्ते में इस तेल को लगाकर उसे बांध दें।


गुखरू:- यह बीमारी एक ऐसा बीमारी है जो हमारे मजदूर और किसान भाइयों में अधिक होता है क्योंकि जो हमारे किसान भाई हैं वे खेतों में खाली पैर चलने वाले होते हैं, और इनके पैर में कांटे गड़ने, एवं अंदर चोट लगने से पैर में गांठ पड़ जाता है, जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है और इस परेशानी से बचने के लिये चमत्कारी आक के पौधे की जरूरत पड़ती है। आक के पौधे के पत्तों को तोड़कर उससे जो दूध निकलता है उसे गुखरू के ऊपर 5 से 10 मिनट लगाने से तीन दिन के बाद वह साफ हो जाता है।


खाँसी:- अगर बच्चे को तेज खाँसी हो रहा है तो आक के फूल को सुखा लेना है और इसके साथ काली मिर्च और जीरा को एक साथ बराबर मात्रा में मिला लेना है और बच्चे को सेवन करा कर खाँसी से छुटकारा पा सकते हैं।


गर्मी के दिनों काम करने वाले मज़दूर भाई धूप में अधिक समय तक काम करते हैं, जिसकी वजह से आंख लाल हो जाता है जिसे आँख आना भी कहा जाता है। इस दौरान आँख में खुजली और दर्द होने लगता है जिससे काफ़ी तकलीफ़ होती है इससे बचने के लिये आक के दूध को अपने पैरों के दोनों अंगूठो मे लगाना है ऐसा करने से दो- तीन दिन में यह ठीक हो जाता है। इन सब के अलावा मिर्गी, चर्म रोग, रेबीज़ आदि बीमारियों का इलाज भी इस आक के पौधे से किया जा सकता है।


अभी वर्तमान में देखा जाए तो हमारे आदिवासी समाज के लोग अपने शारीरिक इलाज के लिये काफ़ी ज्यादा पैसा खर्चा करते हैं और अपने दुःखों को शिघ्र दूर करने के लिये लोग मेडिकल से अंग्रेज़ी दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं जबकि हमारे पास सभी बीमारियों का जबरदस्त आयुर्वेदिक इलाज है, जो हमारे घर के आस पास ही मौजूद है, इनका इस्तेमाल कर मेडिकल दवाई के अपेक्षा सस्ते तरीके से हमारे सभी बीमारियों का इलाज कर करते हैं।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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