Tikeshwari Diwan

May 24, 20213 min

जानिये छत्तीसगढ़ के आदिवासी कौनसी पत्ती का उपयोग कर बुखार और सर्दी जैसी बीमारियों को ठीक करते हैं

नोट- यह आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है, इसके ज़रिये किसी भी प्रकार का उपचार सुझाने की कोशिश नहीं है। यह आदिवासियों की पारंपारिक वनस्पति पर आधारित अनुभव है। कृपया आप इसका इस्तेमाल किसी डॉक्टर को पूछे बगैर ना करें। इस दवाई का सेवन करने के परिणाम के लिए लेखक किसी भी प्रकार की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है।

गिलोय पौधा बहुत उपयोगी माना जाता है

बरसात के मौसम में सर्दी-खांसी जैसी बीमारियां बहुत आम बात है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के आदिवासी ऐसी बीमारियों को ठीक करने के लिए एक किसम के बेल पर निर्भर करते हैं। इस बेल का नाम है गिलोय जो आसानी से घर के आंगन में उग जाता है। आइये जानते हैं इस बेल के बारे में जमुना बाई से। वे जिला गरियाबंद में स्थित फिंगेश्वर ब्लाक के ग्राम बनगवाँ की रहने वाली हैं।

जमुना बाई को बचपन से ही वन उपज और औषधीय पौधों के बारे में बहुत जानकारी है। उन्होंने बताया कि गिलोय को ग्रामीण क्षेत्र में गिलोद कहा जाता है | उन्होंने कहा कि यह बहुत ही फायदेमंद पत्ति है। इस गिलोय के पत्तों को कहीं भी उगा सकते हैं, जैसे की खाली मैदान में या घरों में और जहां पर पानी की मात्रा अधिक हो उस जगह पर यह आसानी से लगा सकते हैं। यह गिलोद नारदार होता है और पत्ती हरे रंग का और चिकना दार होता है। इस पत्ती का आकार बहुत ही बड़ा होता है और जड़ बहुत ही मजबूत होता है जिससे आप आसानी से घर पर लगा सकते हैं।

जमुना बाई का कहना है की गिलोय का गाढ़ा पीने से बुखार ठीक होता है

पत्ती का उपयोग छोटी-छोटी बीमारियों से राहत पाने में कर सकते हैं:

गाँववालों को अक्सर हल्का बुखार, खांसी, और सर्दी होती रहती है। ऐसे में गिलोय का घोल पीने से शरीर को काफी आराम मिलता है। गिलोय बहुत ही कड़वा होता है जिसका सेवन करने पर शरीर में होने वाले बीमारियां ठीक हो जाती हैं। जमुना बाई ने बताया कि यह रोज सुबह गिलोय के जड़ व पत्ति को पानी में उबालकर पीती है। इससे उनका शरीर स्वस्थ रहता है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें पिछले कुछ महीनों से हल्का बुखार था। उन्होंने अपनि बेटी के कहने पर रोज गिलोय का काढ़ा पिया जिससे उनका बुखार ठीक हो गया।

उन्होंने बताया कि गिलोय पत्ते का काढ़ा बहुत ही कड़वा होता है। इस गिलोय के पत्ती को उबाल कर उसका पानी पिया जाता है और चाय के साथ भी पिया जा सकता है। इसके इलावा भी गिलोय के जड़ को या फिर उसके पत्ती को रोज सुबह शाम एक से दो पत्ती भोजन के साथ खा सकते हैं। एक गिलास पानी लेकर चबा चबा कर भी खा सकते हैं ।

गाँव के एक और निवासी हैं उमेंद्र | उन्होंने बताया कि शुगर से परेशान व्यक्ति इस पत्ती का इस्तेमाल कर सकते हैं । गाँव में कई लोग ऐसे हैं जो अपने शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए पत्तों से बने काढ़े को पीते हैं। इसके इलावा जिस व्यक्ति को हल्का बुखार हो वह व्यक्ति इसे रोजाना ले सकते हैं। हमारे शरीर में खानपान ऊंच-नीच होने के कारण कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है।इस तरह के बीमारियों में इसे सेवन करने से आपकी शरीर की क्षमता को बढ़ावा देती है।

जड़ का पानी

हमारे गाँव के कई लोगों ने अपने घरों में गिलोय का पौधा लगाया हुआ है। एक ऐसी ही घर की सदस्य हैं बुगल। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने घर पर गिलोय का पत्ती लगाया है और वह अपने आसपास के रहने वाले लोगों को भी ये पत्ता लगाने की सलाह देती हैं। इस पत्ते का रोज सेवन किया जाता है शरीर को स्वस्थ रखने के लिए।

आपके गाँव में ऐसे कौनसे पौधे हैं जिनको आप अछि स्वास्थ के लिए इस्तेमाल करते हैं? हमें कमैंट्स में बताएं।

यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है।