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Writer's pictureAyush Dawar

राजकुमार रोत: कैसे बने एक साधारण युवा से भारतीय राजनीति में आदिवासी समुदाय की बुलंद आवाज?

परिचय:-

राजकुमार रोत भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय आदिवासी नेता के रूप में उभरे हैं, जो अपने समर्पण और संघर्ष के बल पर आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं। वे राजस्थान के चौरासी विधानसभा क्षेत्र से 2018 में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) से विधायक चुने गए और हाल ही में बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के प्रतिनिधि के रूप में लोकसभा के सदस्य चुने गए। उनकी कहानी केवल एक राजनीतिक सफर नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक यात्रा है जो बताती है कि कैसे एक साधारण आदिवासी युवा अपने समुदाय के लिए असाधारण कार्य कर सकता है।


प्रारंभिक जीवन:-

राजकुमार रोत का जन्म राजस्थान के एक आदिवासी गाँव खरवर खुनिया जिला डूंगरपुर में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक बहुत ही साधारण परिवेश में हुआ। पिता की मृत्यु उनके जन्म से पहले ही हो गई थी, जिससे परिवार पर आर्थिक संकट आ गया। उनकी मां ने बहुत मेहनत करके उन्हें पाला और शिक्षा दी। राजकुमार रोत की प्रारंभिक शिक्षा एक स्थानीय सरकारी स्कूल में हुई, जहां उन्होंने संघर्षों के बीच भी उत्कृष्टता प्राप्त की। गरीबी और कठिनाइयों के बावजूद, वे अपनी पढ़ाई में निरंतर आगे बढ़ते रहे और हमेशा अपने गांव के लोगों के हित में सोचते रहे।


शिक्षा और प्रारंभिक करियर:-

राजकुमार रोत ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उच्च शिक्षा के लिए भी प्रयास जारी रखे। उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की, और इसी दौरान उन्हें शिक्षा के महत्व का गहरा एहसास हुआ। उनके संघर्ष और समर्पण ने उन्हें अपने क्षेत्र के आदिवासी बच्चों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बना दिया। उन्होंने अपनी शिक्षा का उपयोग करते हुए, अपने क्षेत्र में सामाजिक कार्यों की शुरुआत की, विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में।


राजनीतिक संघर्ष:-

राजकुमार रोत की राजनीतिक यात्रा समाज सेवा और सामाजिक संघर्ष के कार्यों से शुरू हुई। उन्होंने देखा कि आदिवासी समुदाय को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उन्होंने इन मुद्दों को उठाना शुरू किया। 2013-14 में, उन्होंने छात्र संघ के चुनावों में हिस्सा लिया और विजयी हुए। इस सफलता ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया और उन्हें आगे की राजनीतिक संघर्ष के लिए प्रेरित किया।


2018 में, राजकुमार रोत ने भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) से विधानसभा चुनाव लड़ा और चौरासी सीट से एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के एक प्रमुख मंत्री को पराजित किया, जो उनके सामाजिक संघर्ष और नेतृत्व की क्षमता का प्रमाण था। इसके पश्चात, उन्होंने 'आदिवासी परिवार' नामक अपने सामाजिक संगठन के अंतर्गत 'भारत आदिवासी पार्टी' (BAP) की स्थापना की, और साल 2023 में दोबारा विधायक बनें। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के उम्मीदवार बने। इस चुनाव में उन्होंने एक और बड़ी जीत हासिल की।


चुनाव की चुनौती:-

राजकुमार रोत का लोकसभा चुनाव जीतना एक आसान कार्य नहीं था। उनके सामने एक मजबूत प्रतिद्वंदी, महेंद्रजीत मालवीया थे, जो बीजेपी के चार बार विधायक, दो बार सांसद और कई बार मंत्री रह चुके थे। चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री और पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने सभाएँ कीं, और दो अन्य डमी उम्मीदवारों को भी खड़ा किया गया। इसके बावजूद, राजकुमार रोत ने 2,47,000 से अधिक मतों से एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की।


मुख्य मुद्दे और उपलब्धियां:-

सांसद के रूप में, राजकुमार रोत ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम किया है और आदिवासी समुदाय के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई पहलें की हैं:


1. आदिवासी अधिकार और भूमि सुधार:-

राजकुमार रोत ने आदिवासी समुदायों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष किया। उन्होंने भूमि सुधार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया और सरकारी नीतियों में सुधार की मांग की।


2. शिक्षा और स्वास्थ्य:-

उन्होंने अपने क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई पहलें शुरू कीं। उन्होंने स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति सुधारने के लिए संसाधन जुटाए और इन सेवाओं की पहुंच को बढ़ाया।


3. सामाजिक और आर्थिक विकास:

राजकुमार रोत ने अपने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास, जैसे सड़कों, बिजली, और जल आपूर्ति के प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में इन सेवाओं की पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया।


4. आदिवासी संस्कृति का संरक्षण:-

उन्होंने आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। राजकुमार रोत ने आदिवासी त्योहारों और परंपराओं को बढ़ावा दिया और उनके संरक्षण के लिए प्रयासरत रहे। संसद में भी शपथ ग्रहण के दौरान वे आदिवासी वेश भूषा में नजर आयें।



समाज सेवा और जन संपर्क:-

राजकुमार रोत केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि वे एक जनसेवक भी हैं। वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में नियमित रूप से जन संपर्क करते हैं और लोगों की समस्याओं को सुनकर उनके समाधान के लिए सक्रिय रहते हैं। उनकी उपलब्धियां आदिवासी समुदायों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण रही हैं। राजकुमार रोत का कार्यक्षेत्र केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि वे सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहते हैं।


निष्कर्ष:-

राजकुमार रोत की कहानी एक साधारण व्यक्ति के असाधारण नेता बनने की है। उनके समर्पण और निष्ठा ने न केवल उनके क्षेत्र बल्कि पूरे देश में आदिवासी समुदाय की आवाज को मजबूती दी है। उनकी राजनीतिक यात्रा और समाज सेवा के कार्य उन्हें आदिवासी समुदाय के एक सच्चे नेता के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो उनके अधिकारों और विकास के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उनके द्वारा किए गए कार्य और उनकी समाज के प्रति सेवा भावना उन्हें भारतीय राजनीति के एक प्रमुख आदिवासी नेता के रूप में स्थापित करते हैं, और वे आने वाले समय में भी अपने समुदाय के हित के लिए काम करते रहेंगे।


राजकुमार रोत की यात्रा हमें यह सिखाती है कि संघर्ष और सेवा की भावना से कोई भी व्यक्ति अपने समाज के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उनके उदाहरण से प्रेरित होकर, हम सभी अपने समाज के विकास और कल्याण के लिए एकजुट होकर काम कर सकते हैं।


लेखक परिचय:- आयुष डावर, जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के सक्रिय कार्यकर्ता हैं, उन्होंने पिछले सात वर्षों में आदिवासी समाज में सोशल मीडिया के माध्यम से जनजागृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अपने अथक प्रयासों एवं समर्पण के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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