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डर




स्त्रियाँ बच्चे के रूप में

शक्तियों को जन्म देती हैं,

अपना ख़ून

दूध में बदलकर पिलाती हैं,

ताकि वे जीवन में

कुछ नया, सुंदर, पवित्र पैदा कर सकें।

शक्तियाँ बड़ी होती हैं,

ताक़तवर होती हैं

और सबसे पहले

स्त्रियों को ख़त्म करना चाहती हैं।

कुछ पैदा न कर पाने का डर

पृथ्वी पर डर के सिवा

और कुछ पैदा नहीं कर पाता।।








नोट:- जसिंता केरकेट्टा द्वारा लिखित ये कविता 'जड़ों की ज़मीन' द्विभाषिक कविता संग्रह से लिया गया है। प्रकाशक: भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली।


The author, Jacinta Kerketta is a well known poet, writer and journalist. Born in an adivasi family, she writes passionately about women and adivasi issues. Her works have been translated to German, French, Italian and English. We, at Adivasilivesmatter are grateful for her contributing this poem, especially for Women's Day.

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