पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित
अमारी लकरा हमारे गांव देहात के लोगों द्वारा बारी कोला (बाड़ी) और खेत के मेंढ़ में लगाया जाता है। लकरा दो प्रकार के होते हैं, एक तो अमारी लकरा और दूसरा पटवा लकरा। पटवा लकरा को ठड़गी लकरा भी कहा जाता है। यह दोनों ही लकरा हमारे गोंड जनजाति के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवम आवश्यक होता है। इन दोनों लकरा का उपयोग, हमारे पुरखा समय से चलता आ रहा है। अमारी के फूल, सब्जी और दवाई के रूप में काम आते हैं।
अमारी लकरा के फूल देखने में बहुत सुन्दर दिखाई देते हैं। यह लाल रंग के होते हैं। इससे विभिन्न तरीके के पकवान भी बनाए जाते हैं। हमारे गांव देहात के लोग कच्चा फूल का चटनी पीसकर खाना बहुत पसंद करते हैं। यह 'बोरे बासी' के साथ बहुत ही अच्छा लगता है। अमारी फूल को सब्जी बनाकर हमारे आदिवासी लोग बहुत चाव के साथ खाते हैं। इसको नमक के साथ कच्चा भी खाते हैं। यह खाने में बेहद स्वादिष्ट होता है। इसका स्वाद खट्टा व चटपटा सा लगता है। इसको खाने के बाद बहुत समय तक मुंह साफ सा लगता है।
अमारी लकरा को बारह माह तक लगाया जाता है। इसके पत्तों को तोड़ कर, हल्का सुखाकर उसे गर्म किया जाता है। फिर गर्म करने के बाद, धूप में दो-तीन दिन तक अच्छे से सुखा दिया जाता है। उसके बाद अच्छे से साफ-सुथरा करके रख देते हैं। ताकि, जब खाने का मन हो तो खा सकें। और उसके फूल को भी छिल कर धूप में सुखाया जाता है, उसके बाद जतन कर रख दिया जाता है। अमारी के सूखे फूल बहुत लाभदायक होते हैं। इन सूखे फूल को पीसकर चूर्ण बनाकर रखते हैं और गर्मी में इसका उपयोग करते हैं। अमारी का फूल गर्मी के समय में दवाई का काम करता है। जब गर्मी में धूप बहुत होता है तो, हम फूल को एक गिलास पानी में भिंगो कर रखते हैं। फिर अच्छे से भींग जाने के बाद, उसे छानकर पिया जाता है, इससे शरीर स्वस्थ रहता है और गर्मी से राहत देता है।
अमारी के बीज से तेल निकाला जाता है और यह तेल भी बहुत उपयोगी होता है। इसके तेल से बने रोटी बहुत स्वादिष्ट होते हैं। लोग इसके बीज को निकालकर धूप में अच्छे से सुखा कर, दुकान या बाजार में अच्छी मूल्य में बेच देते हैं। जिससे लोगों को आर्थिक पूंजी के रूप में लाभ मिलता है।
पटवा लकरा, अमारी लकरा जैसे काम नहीं करता है। यह अमारी लकरा से कम फायदा देता है। अमारी ज्यादा खट्टा होता है और पटवा कम खट्टा होता है। अमारी का फूल हमारे लिए फायदेमंद साबित होता है। यह गर्मी में हमें बचाकर रखता है, इसके फूल का सेवन हमें करना ही चाहिए। क्योंकि, यह फूल हमारे शरीर के लिए दवाई का काम करता है।
हमारे बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि, पहले गर्मी को शान्त करने के लिए ये सब कोका-कोला, थमसफ, कुलर, पंखा और फ्रीज आदि की सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी। तब हमारे लोग अमारी फूल का प्रयोग करते थे। तब से आज तक हमारे लोग इसके पत्ते और फूल को औषधी एवम सब्जी के रूप में उपयोग करते हैं। शरीर में गर्मी ज्यादा होने पर पेचिस या खरेई से पीड़ित होने पर अमारी के फूल को भिगोकर, खाली पेट में तुरन्त एक गिलास पी लेना चाहिए, इससे हमें पांच मिनट बाद ही राहत मिल जाती है।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
Комментарии