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जानिए आदिवासियों का घरेलू नुस्खा जो करे डेंगू, मलेरिया एवं टाइफाइड का खात्मा

मनोज कुजूर द्वारा संपादित


आजकल प्रायः गांव घरों में टाइफाइड, मलेरिया एवं डेंगू जैसी बीमारियां आम हो गई है। इसका प्रमुख कारण मच्छर है। बरसात के मौसम में जब बारिश के बाद तेज धूप निकलता है और साथ ही साथ मौसम बदली-बदली (बादलों वाला) होता है। उस वक्त वातावरण उमस भरा हो जाता है, यह वातावरण डेंगू के मच्छरों को पनपने के लिए अति उत्तम होता है। साथ ही गांवों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता की कमी एवं खुले गड्ढे में जगह-जगह पानी भरे होने के कारण मच्छर तेजी से पनपते हैं। यह समस्या बरसात के मौसम में और भी ज्यादा देखने को मिलती है ऐसे समय में आस-पड़ोस के लोग बहुत तेजी से इन बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। प्रारंभ में बहुत तेज बुखार से इसकी शुरुआत होती है, फिर धीरे-धीरे यह बीमारी मलेरिया एवं टाइफाइड का रूप लेने लगता है। एलोपैथी पद्धति से इलाज में गांव के गरीब लोगों का जमा पूंजी भी कम पड़ने लगता है अतः यह घरेलू नुस्खा अपनाकर इन बीमारियों से मुक्ति के साथ-साथ धन की भी बचत संभव है।


गांव घर के लोगों की इस विकट परिस्थितियों को देखते हुए गांव के ही आदिवासियों ने उक्त बीमारी का आयुर्वेदिक तरीके से इलाज का एक घरेलू नुस्खा तैयार किया है जो इन बीमारियों के लिए कारगर दवा साबित हो रहा है।

काढ़ा बनाने के लिए लिया गया पपीते का पत्ता

गांव घरों में पपीते का पेड़ सहज ही उपलब्ध होता है। इन पपीतों के पेड़ों के पत्ते बड़े ही लाभकारी एवं अचूक दवा सिद्ध हो रहे हैं। इन पत्तों से बना काढ़ा बहुत ही उपयोगी है, क्योंकि इन बीमारियों के लिए पपीते के पत्ते का काढ़ा बहुत ही असरदार साबित हो रहा है। इसके अंदर ऐसे ऐसे गुण है, जो इन बीमारियों के साथ-साथ कई रोगों से लड़ने में मदद करता है। यह काढ़ा तैयार करना बहुत ही सहज एवं सरल है, सर्वप्रथम पपीते की पत्तियों को तोड़ लेना है। ये पत्तियां दो प्रकार की हो सकते है। एक छोटी और दूसरी बड़ी, यदि आपके पास बड़ा पत्ता है, तो यह दो खुराक के लिए काफी है। यदि पति छोटी है, तो यह एक खुराक के लिए काफी है। इन पत्तों के मुलायम हिस्सों को लेकर छोटे-छोटे टुकड़े कर लेना है। फिर साफ पानी में अच्छे से धो लेना है, तथा एक बड़े बर्तन में एक गिलास पानी लेकर मध्यम आंच में तब तक उबालना है, जब तक कि गिलास का पानी आधा ना हो जाए। इस तरह उबालने से पपीते के पत्ते का रस बाहर निकल आएगा। पत्ते की सारी रस बाहर निकल जाने के बाद उसे हल्का ठंडा कर अच्छे से छान लेना है। अब इसमें स्वाद अनुसार काला नमक डालकर सुबह-शाम सेवन करने से डेंगू, मलेरिया एवं टाइफाइड जैसे रोगों से ठीक होने के लिए एक कारगर आयुर्वेदिक दवा तैयार हो जाता है।


पपीते के पत्ते स्वाद में थोड़े कड़वे होते हैं। इसलिए इसमें थोड़ा चीनी भी डाल कर पी सकते हैं। इसका सेवन सुबह-शाम करना चाहिए। जबतक की तक बुखार ठीक ना हो जाए। ऐसा लगातार करने से मलेरिया तथा टाइफाइड जल्द ही ठीक हो जाता है।

गांव के सभी आदिवासी भाई बहनों से निवेदन है कि जो भी व्यक्ति मलेरिया एवं डेंगू एवं टाइफाइड जैसी गंभीर बीमारी से बीमारियों से ग्रसित है। वह इस घरेलू नुस्खा को जरूर अपनाएं। यह काढ़ा तैयार करने में किसी भी प्रकार का धन खर्च करने की जरूरत नहीं होती है। यह पपीते के पत्ते हमारे घरों के आसपास आसानी से मिल जाते हैं। इससे किसी प्रकार का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है, क्योंकि यह शुद्ध आयुर्वेदिक काढ़ा है यह सिर्फ हमारे तकलीफों से छुटकारा दिलाता है।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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