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आदिवासी विद्यार्थियों की ऑनलाइन परीक्षा की समस्या हुई दूर

घर में ही लिखित परीक्षा देंगे 12वीं के सभी विद्यार्थी, छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला

केवल प्रतिनिधित्व के उद्देश्य के लिए फोटो I Credit: Tushar Chavhan

कोरोना महामारी को देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य सरकार 12वीं की परीक्षा में बार-बार संशोधन कर रही थी। छत्तीसगढ़ में कोरोना महामारी के तीसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है इसलिए सरकार परीक्षा लेने के लिए तैयार नहीं थी। बड़ी संख्या में छात्रों द्वारा ऑनलाइन परीक्षा की मांग को देखते हुए इस राज्य के आदिवासी विद्यार्थी चिंतित थे कि वे कैसे ऑनलाइन परीक्षा दे पाएंगे। ऐसे कई आदिवासी इलाके हैं जहाँ मोबाइल नेटवर्क नहीं रहता है। ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा देना उनके लिए बहुत कठिनाइयों भरा रहता है।


आदिवासी विद्यार्थियों की चिंता को दूर करते हुए छत्तीसगढ़ प्रशासन ने ऐलान किया है कि सभी परीक्षाएं ऑफलाइन कराई जाएंगी। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल, रायपुर के नए नियमों के अनुसार, अब विद्यार्थी घर पर बैठकर, कागज़ और कलम से अपना पेपर लिख सकते हैं।


नए नियमों के अनुसार 12वीं की परीक्षाएं कैसे की जा रही हैं ?

छात्रों को अपन प्रश्न पत्र एवं उत्तर पुस्तिका अपने स्कूल में जाकर लेना पड़ा। प्रश्न पत्र एवं उत्तर पुस्तिका वितरण 1 जून से 5 जून तक किया गया। प्रश्न पत्र एवं उत्तर पुस्तिका लेने के बाद, विद्यार्थियों को उसे पांच दिन के अंदर वापस स्कूल में जमा करना है। इस हिसाब से छात्रों को 6 तारीख से 10 तारीख के बीच अपनी उत्तर पुस्तिका अपने स्कूल में जमा करना पड़ेगा। ये विद्यार्थी प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका लेकर अपने घर में आराम से लिख सकते हैं, उन्हें 5 दिनों का समय दिया गया है। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के नए नियम का छात्र-छात्राओं ने स्वागत किया है।


छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा विद्यार्थियों को निर्देश दिया गया है कि वे फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका लेने विद्यालय जाएं। विद्यार्थी जितनी उत्तर पुस्तिका लेकर जा रहे हैं उतना ही जमा करना अनिवार्य है। छात्र अपने स्वयं से अपनी परीक्षा दें, दूसरों की मदद ना ले। उत्तर पुस्तिका कूरियर पोस्ट, स्पीड पोस्ट आदि से न भेजें, उन्हें स्वयं अपने विद्यालय में जाकर जमा करें। अंतिम तिथि तक अपनी उत्तर पुस्तिका जमा करना अनिवार्य है नहीं तो विद्यार्थी को अनुपस्थित कर फेल कर दिया जाएगा।


इस नए पैटर्न के बारे में शिक्षकों की राय

मैंने शिक्षकों से इस नए नियमों के बारे में बात की। वे गुमनाम रहना चाहते थे लेकिन उन्होंने अपने विचार साझा किए। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा बहुत ही अच्छा फैसला लिया गया है जिससे विद्यार्थियों को अपनी आने वाली पढ़ाई में रुकावट नहीं होगी और वे आगे की तैयारी आसानी से कर पाएंगे। उनका कहना है कि यह परीक्षा इस विश्वास के साथ कराया जा रहा है कि विद्यार्थी घर पर ईमानदारी से परीक्षा देंगे, ऐसा नहीं कि घर में परीक्षा हो रही है तो अपनी पुस्तको से सारे प्रश्नों के उत्तर कॉपी कर लें। शिक्षकों ने अपने छात्रों से कहा है कि वे उतना ही लिखें जितना उनको आता है। एक शिक्षक ने कहा, "जब वे विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका पढ़ेंगे तो उनको तुरंत समझ आ जाएगा कि उन्होंने अपने दिमाग से लिखा है या किताब से कॉपी करके लिखा है, तो वे नकल करने की कोशिश न करें, अपने विवेक से सारे प्रश्न हल करें।"


विद्यार्थियों से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि वे इस नए नियम से बहुत खुश हैं।

अर्जुन नेटी कक्षा बारहवीं (गणित) कहते हैं: "मैं अपनी 12वीं की परीक्षा को लेकर बहुत चिंतित था क्योंकि अधिकांश छात्र ऑनलाइन एग्जामिनेशन के लिए मांग कर रहे थे। उनकी मांग सही भी थी क्योंकि इस महामारी के चलते हम एक जगह एकत्रित होकर अपनी 12वीं का बोर्ड एग्जाम नहीं लिख सकते, लेकिन मेरे गाँव में इंटरनेट की सुविधा नहीं है। इसलिए मैं सोच रहा था कि मुझे स्कूल में ही जाकर परीक्षा देनी चाहिए। अभी सरकार का जो फैसला आया है जिससे मैं अपने घर में बैठे-बैठे ही लिखित एग्जाम दे पाऊंगा, इससे मुझे बहुत खुशी हुई है और मैं अपने स्कूल और शिक्षा विभाग को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने हमारी समस्या को समझते हुए समाधान निकाला।"


लेशराम ध्रुव कक्षा 12 वीं (कृषि):"मैं भी अपनी 12 वीं की परीक्षा को लेकर चिंतित था। सरकार द्वारा बार-बार परीक्षा की तारीख को आगे बढ़ाया जा रहा था और कोरोना महामारी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। छत्तीसगढ़ में इसकी तीसरी लहर आ चुकी है फिर भी हमारे परीक्षा की कोई खबर नहीं थी। लेकिन अभी छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा लिए गए फैसले से मैं बहुत ही खुश हूँ कि मुझे परीक्षा हाल में बैठकर सभी के साथ एग्जाम देना नहीं पड़ेगा। इस फैसले से हमें आगे की तैयारी करने में भी आसानी होगी। मेरे गाँव में दस विद्यार्थी हैं जो 12वीं के छात्र हैं। दस में से केवल 2-3 लोगों के ही घरों में स्मार्टफोन है और न ही हमारे यहाँ इंटरनेट की सुविधा इतनी मजबूत होती है कि हम अपने घरों से अपनी परीक्षा दिया पाते इसलिए मेरे गाँव के 12वीं के छात्र ऑनलाइन परीक्षा के पक्ष में नहीं थे।"


आदिवासी और गैर आदिवासी विद्यार्थियों द्वारा आवाज़ उठाने के बाद सरकार ने डिजिटल डिवाइड के शिकार विद्यार्थियों को ध्यान में रख कर परीक्षा के स्वरूप में जो बदलाव किया है उसका सभी स्वागत कर रहे हैं।


यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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