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क्यों खास है पोई भाजी

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है, जहां अनेक प्रकार के भाजी पाये जाते हैं और उनकी सब्जी बनाई जाती है। हरी पत्तेदार सब्जियां उचित स्वस्थ संतुलित आहार का एक अनिवार्य हिस्सा है। हरी पत्तेदार सब्जियों में मानव शरीर को मिलने वाले विटामिन जैसे आयरन, कैल्शियम, फोलेट, मैग्नीशियम, जिंक, रेशों आदि का अच्छा स्रोत होता है, जो मानव को स्वस्थ तंदुरुस्त रहने में मदद करता है।


पोई भाजी एक लता वाला पौधा है, जो इधर-उधर फैलता है। इसकी शाखाएं रस्सी की तरह पतली रहती हैं, इसको बढ़ने के लिए एक सहारे की आवश्यकता होती है, जिससे इसका फैलाओ अधिक हो पाए। पोई भाजी को बहुत से लोग अपने घर के द्वार को सजाने में उसका उपयोग करते हैं, जो द्वार को अच्छा हरा-भरा और सुंदर बना देता है। घर सजाने से पहले तार को लगा कर पोई की लताओं को फसाना रहता है। फिर, अपने से पोई भाजी अपना आकार धारण कर लेता है। इसका पौधा लगाने के लिए इसकी टहनी ही काफी रहता है और जल्दी से लग जाता है। लेकिन, जड़ लगने तक थोड़ा ध्यान देना होता है। उसके बाद इसको बड़ाने के लिए, केवल पानी की जरूरत रहता है। इस भाजी को बहुत से लोग गमलों में लगाते हैं और छत में ले जाकर इसकी लताओं को छत से नीचे गिरा देते हैं। ताकि, घर आकर्षक दिखे।

पोई भाजी

तस्वीर में आप देख सकते हैं कि, पोई भाजी को एक महिला टोकरी में सब्जी बनाने के लिए तोड़ रही है। इस भाजी को आप जितना तोड़ोगे यह उतना ही और बड़ता है। पोई भाजी की सब्जी बनाने के लिए, पत्ती को तोड़कर अच्छे से पानी में धोया जाता है। उसके बाद उसको कढ़ाई में चना दाल के साथ दस मिनट तक उबाला जाता है। उबालने से भाजी में जो हनीकारक चीज रहते हैं, वह सब निकल जाता है। अच्छे से उबल जाने के बाद, उसको कड़ाई से निकाल कर फिर कढ़ाई में तेल डालकर तुरंत अच्छे से भूंज ले। लेकिन, पहले उसमें प्याज, लहसुन, हरी मिर्ची, टमाटर, नमक और मिर्ची पाउडर को अच्छे से पकने दें। फिर पांच मिनट बाद, भाजी को कढ़ाई में डालकर और 15-20 मिनट तक और पकने के लिए छोड़ दें। जिससे सब्जी अच्छे से पकेगा और सब्जी तैयार हो जाएगी। सब्जी बन जाने के बाद आप उसको अपने इच्छा अनुसार रोटी या चावल किसी के साथ भी खा सकते हैं और यह भाजी खाने में आपको पालक की सब्जी जैसे लगेगी।

पोई भाजी की सब्जी

मनीषा साहू का कहना है कि, उनके घर में पोई भाजी पहले से है, जिसको दूसरे के घर से आंगन को हरा-भरा रखने के लिए लाई थी। लेकिन, उनको पता ही नहीं था कि, वह जो घर सजाने के लिए एक लता तोड़ कर लाई थी, उसकी सब्जी भी बनाया जाता है। उनको पता चलने के बाद उन्होंने सब्जी बनाकर देखा तो, सब्जी का स्वाद अच्छा था। उनको लगा ही नहीं की यह दिखावटी पौधा असल में एक सब्जी है।


नगर पंचायत पिपरिया के रहने वाले पुष्पा राठौर जी का कहना है कि, यह सब्जी बाकी सब्जी के तुलना में अच्छा है। क्योंकि, कोई भी अपने घर को हरा-भरा करने के लिए इस भाजी को लगा सकता है और हफ्ते में तीन दिन भाजी बना सकता है। जिससे उनको तीन दिन सब्जी लेने के पैसे भी बच जाते हैं और बचे हुए पैसे से दूसरे दिन के लिए दूसरा सब्जी खरीद सकते हैं।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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