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आइए आपको छत्तीसगढ़ में पहाड़ों के बीच बसे मेरे गाँव की सैर कराता हूं

हमारा देश गाँवों का देश है। गाँव का नाम सुनते ही हमारे मन-मस्तिक में प्राकृतिक सौंदर्य जैसे पर्वत, पेड़-पौधे, झरने, नदी, नाले के साथ-साथ शुद्ध वातावरण का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। गाँव में रहने वालों की जीवन शैली बहुत ही सरल होती है।


गाँव के लोगों का रहन-सहन, उनकी संस्कृति, उनके गीत-संगीत, नाच, देवी-देवताओं की पूजा, खान-पान यह सब गाँव के आकर्षण का हिस्सा है। गाँव ऐसे स्थानों को कहा जाता हैं जहां पर कृषि कार्य किया जाता है, जहां प्राकृतिक सौंदर्य लोगों का मन मोह लेता है।


शहर के कई लोगों को गाँव की मनमोहक चीज़ों के बारे में तो पता है लेकिन यहां कई प्रकार की समस्याएं होती हैं। कई गाँव में औद्योगिक क्षेत्र के योगदान में कमी होती है और लोगों को बिजली की समस्या और पेयजल की असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा सरकारी योजनाओं के ठीक से लागू ना करने की वजह से लोगों को बहुत तकलीफ होती है।

कुएं से पानी निकालते हुए।

  • कृषि कार्य- गाँव में जीवन-यापन के लिए कृषि कार्य की प्रधानता है। खेती आर्थिक दृष्टि से मददगार होती है।

  • पेयजल- गाँव के लोग पेयजल के लिए मुख्यतः तालाब, पोखर, नदी, नाले और कुओं के जल का उपयोग किया करते हैं। गाँव की महिलाएं पानी लाने में सबसे ज़्यादा परिश्रम करती हैं। महिलाओं का समूह सिर पर मटकी लेकर पानी लाने जाती हैं।

लकड़ी से बनी आग से गर्मी लेते हुए।

  • लकड़ी- गाँवों में लकड़ी को विशेष महत्व है। ग्रामीण लोग जंगलों से लकड़ी का प्रयोग अपना घर बनाने के लिए करते हैं और जलाऊ लकड़ी का प्रयोग खाना बनाने के लिए और ठंड के समय आग जलाकर गर्मी के लिए करते हैं।

  • सांस्कृतिक परिवेश – हर गाँव की संस्कृति, उनका पहनावा, उनके नाच-गाने अलग होते हैं। मेरे गाँव में रहने वाली महिलाएं और लड़कियां साड़ी पहनती हैं और पुरुष गमछा पहनते हैं।

  • एकता- गाँव के लोग अनेकता में एकता को चरितार्थ करते हैं। अगर आपको भारत घूमना है, तो गाँव में जाकर देखें गाँव के लोग किस तरह से जीते हैं, उनकी जीवन शैली कैसी है, उनका रहन-सहन क्या है। खासकर आदिवासी गाँव में मदद की भावना बड़ी बलवान होती है। अगर किसी व्यक्ति को या किसी के घर में कोई काम पड़ जाता है या किसी पर कोई संकट आता है, पूरा का पूरा गाँव उनकी मदद करने के लिए एकजुट हो जाता है और सरलता के साथ उस उलझन को सुलझाता है।

  • त्यौहार- गाँव में हर महीने कोई ना कोई त्यौहार तो मनाते ही हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी गाँव में कई प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं, जैसे ठंडाई पर्व, छेरछेरा, इशर-गौरा विवाह, ठाकुर देव जात्रा, गढ़ जात्रा। इन सबके पोशाक, गाने, रीति-रिवाज़ अलग होते हैं और लोगों को त्यौहार मानने में बहुत आनंद मिलता है।

मुझे मेरा गाँव, उसके लोग, उसकी संस्कृति पर गर्व है और मेरा यह मानना है कि असली भारत गाँव में बसा है और इनसे सीखने के लिए बहुत कुछ है। गाँव के किसान और काम करने के लिए गाँव से शहर गए हुए हमारे बंधु भारत का आधार हैं और हमें भारत के गाँव के कल्याण के लिए प्रयास करने चाहिए।



लेखक के बारे में- राकेश नागदेव छत्तीसगढ़ के निवासी हैं और मोबाइल रिपेयरिंग का काम करते हैं। वो खुद की दुकान भी चलाते हैं। इन्हें लोगों के साथ मिल जुलकर रहना पसंद है और वो लोगों को अपने काम और कार्य से खुश करना चाहते हैं। उन्हें गाने का और जंगलों में प्रकृति के बीच समय बिताने का बहुत शौक है।


यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था

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