सफेद कद्दू या कुमड़ा को कुष्मांड और अंग्रेजी में ऎश गॉर्ड के नाम से जाना जाता है। यह बेल के समान लगने वाला एक फल होता है जिसे सब्जी या मिष्ठान बनाकर खाया जाता है। इस की खेती अधिकांश दक्षिण भारत व दक्षिण पूर्वी एशिया में होती है। सफेद कद्दू १ किलो या उससे अधिक किलो का हो सकता है, जिसके ऊपर में छोटे-छोटे सफेद रोम लगे होते हैं जो छोटे-छोटे कांटे के समान दिखाई देते हैं।
सफेद कद्दू में प्रचुर मात्रा में या ९६% पानी रहता है और पोटेशियम भी अधिक मात्रा में पाया जाता हैं। इस मे मैग्नीशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन, और जिंक जैसे आवश्यक तत्व भी पाए जाते हैं।
इस तरह सफेद कद्दू पर छोटे-छोटे सफेद रोम लगे होते हैं
इस फल के अनेक उपयोग है। इस की बडी से सब्जी, पेठे की मिठाई और इसके बीज मे उड़द दाल, तिल, मसाला-मिर्च और नमक मिला के और फ़िर आग मे भून के रोटी भी बनाई जाती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी विशेष प्रकार की बड़ी बनाते हैं
ग्राम कापु बहरा के आदिवासी “रखिया बड़ी” बनाते हैं, जिसे कोहरा या सफेद कद्दू या रखिया भी कहा जाता है।
बड़ी बनाने की विधि
पहले सफेद कद्दू को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेते है। फ़िर सफेद कद्दू को लोहे की करनी पर एक सिरे से दूसरे सिरे तक खींचा जाता है, जिससे वह करली की तरह निकलते हैं और उसी से बड़ी बनाते हैं। करनी पर घिसे हुए सफेद कद्दू कोएक टोकरी पर डाल देते हैं, जिससे उस का पानी बाहर निकल जाए। उसके बाद उस में दाल को मिलाया जाता है।
सफ़ेद कद्दू के कटे हुए टुकड़े
दाल को मिलाने के लिए सबसे पहले रात में उड़द दाल को भिगा देते हैं, फिर सुबह उसे अच्छी तरह से धो लेते हैं जब तक कि उसके ऊपर का छिलका बाहर न निकल जाए। छिलका बाहर निकालने के बाद उसे पीसा जाता है। दाल को पीसने के लिए सील की या मशीन की जरूरत होती है।पहले प्राचीन के लोग पीसने के लिए पत्थर का उपयोग करते थे जिसे आज भी दाल पीसने के लिए उपयोग में लाया जाता है। लेकिन ज्यादातर अब मशीन का प्रयोग करते हैं। उड़द दाल को पीसने के बाद सफेद कद्दू के करी में मिलाते हैं। उस करी और दाल को अच्छी तरह से फेट लेते है।
करनी पर घिसने के बाद ऐसे करली निकलते है
धूप मे सुखाई हुई बडी
इस सफेद कद्दू में प्रचुर मात्रा में धनिया भी डाल सकते हैं। फिर बर्तन या कपड़े मे हाथों से गोल गोल करके बनाया जाता है। उसको छोटे या बड़े आकार में भी बना सकते हैं। फिर उसे धूप में सुखाया जाता है। यह जो बड़ी होता है वह २ या ३ दिनों में सूख जाती है, फिर इसका उपयोग कर सकते हैं। सफेद कद्दू की जो बड़ी होता है, वह प्रसव हुई महिलाओं के लिए ज्यादा फायदेमंद होती है। उस बड़ी का सब्जी बनाकर महिलाओं को खिलाया जाता है जिससे कमजोरी दूर होती है और शरीर मे गर्मी पैदा करती है।
सफेद कद्दू को भारत में अलग-अलग जगहों पर अलग अलग तरीके से बना कर खा जाता है; जैसे दक्षिण भारत में सब्जी बनाकर खाया जाता है, तो उसी प्रकार उत्तर भारत में इसे पेठा बनाकर खाया जाता है। पेठे की मिठाई सफेद कद्दू से ही बनाई जाती है।
सफेद कद्दू के फायदे
यह पेट मे एसिड को कम करता है व अल्सर या जलन में आराम पहुँचाता है।
सफेद कद्दू मे जो रस होता है, वह जानवरों के लिए फ़ायदेमंद होता है। जैसे अगर किसी जानवर का पेट फूल रहा है, तो सफेद कद्दू का रस पिलाने से पेट का फूलना कम हो जाता है।
जैसे ब्रेन में तनाव होता है, यह उस तनाव को घटाता है, और होने वाले तनाव पर नियंत्रण रखता है।
इसमें पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करती है।
इसकी पत्तियों को खरोच करचोट की जगह पर लगाते हैं, जिस से घाव भर जाता है और जल्दी आराम मिलता है।
सफेद कद्दू में प्रचुर मात्रा में पानी होता है – ९६%। यह अधिक कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ का बेहतर विकल्प है, जो वजन नियंत्रित रखने में मदद करता है।
यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
क्या आप भी सफ़ेद कद्दू खाते है? हमें कॉमेंट्स में बताए की क्या आप इससे क्या पदार्थ बनाते है!
लेखिका के बारे में- वर्षा पुलस्त छत्तीसगढ़ में रहती है। पेड़-पौधों की जानकारी रखने के साथ-साथ वह उनके बारे में सीखना भी पसंद करती हैं। उन्हें पढ़ाई करने में मज़ा आता है।
यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था
अपने कद्दू के बीज को पकाने की काफी अच्छी जानकारी इस पोस्ट में दी है। <a href=" https://helthyjeevan.com/ ">दर्शिका </a>
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