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आदिवासी लाइव्स मैटर ने जीता कॉस्मोपॉलिटन इंडिया का ब्लॉगर अवार्ड

पिछले 4 वर्षों से, कॉस्मोपॉलिटन इंडिया विभिन्न श्रेणियों में व्यक्तियों और संगठनों को, अपने काम के माध्यम से एक अंतर पैदा करने के लिए ब्लॉगर का पुरस्कार देते आ रही है। यह बहुत खुशी की बात है कि इस वर्ष, 'सोशल रिफॉर्म एक्टिविस्ट ऑफ द ईयर' श्रेणी में ब्लॉगर का पुरस्कार आदिवासी लाइव्स मैटर को प्रदान किया गया। इस श्रेणी में दो और नामांकित व्यक्ति थे - दलित इतिहास और सिद्धेश गौतम। सामाजिक रूप से वर्गीकृत इस समाज को अपना प्रभाव छोड़ने के लिए सभी तीनों नामांकितों ने जबरदस्त प्रयास किया है। दलित इतिहास, इंस्टाग्राम पर लगभग 11000 फोलोवर्स के साथ दलितों की शिक्षा, इतिहास और पहचान के साथ-साथ दलित नारीवादियों के बारे में लगातार बात करता रहा है। वहीं लगभग 51000 फोलोवर्स के साथ, सिद्धेश गौतम दलित कलाकारों, विद्वानों, लेखकों और हस्तियों की कहानियाँ सुनाते रहे हैं। इंटरनेट पर अपने कलाकृतियों से उनके द्वारा गढ़ी जाने वाली कहानियां एक जाति-मुक्त दुनिया के उद्देश्य से प्रतिरोध का एक रूप हैं।


आदिवासी लाइव्स मैटर पिछले 6 सालों से आदिवासी आवाज़ को सबसे आगे लाने का काम कर रही है। हमेशा से आदिवासी लाइव्स मैटर के केंद्र में जनजातीय भाषाओं और संस्कृतियों को संरक्षित करने का प्रयास रहा है, जो दूसरों के दमन और आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा में जबरदस्ती लाने के प्रयास के कारण धीरे-धीरे खोता जा रहा है। आदिवासी लाइव्स मैटर, भारत के आदिवासी युवाओं को अपने जीवन और संस्कृति को दर्शाती, आदिवासी कहानियों को लेखों और वीडियो के माध्यम से डिजिटल कॉन्टेंट बनाने के लिए प्रशिक्षित करता है। रचनाकारों को अपनी मातृ भाषाओं में सामग्री बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। आज, आदिवासी लाइव्स मैटर विभिन्न जनजातीय भाषाओं में कॉन्टेंट प्राप्त कर रहा है।

यह ब्लॉगर अवार्ड, 180 से अधिक आदिवासी युवा रचनाकारों का उत्सव है, जिन्होंने इन वर्षों के दौरान 700 से अधिक लेखों और वीडियो के जरिए अपने कहानियों को सामने लाए हैं। उनकी रचनाएँ आदिवासी लाइव्स मैटर की वेबसाइट पर देखी जा सकती हैं। आदिवासी लाइव्स मैटर की ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 52,000 से अधिक फॉलोअर्स के साथ एक मज़बूत उपस्थिति है, जिसके माध्यम से हम अपने रचनाकारों की आवाज़ को बढ़ा रहे हैं। रचनाकार आदिवासी लाइव्स मैटर के ह्रदय और आत्मा रहे हैं। आदिवासी लाइव्स मैटर के साथ अपनी यात्रा के बारे में पूछे जाने पर हमारी एक कॉन्टेंट क्रिएटर, कवि प्रिया कहती हैं, “मैंने 2020 में आदिवासी आवाज़ अकादमी के प्रशिक्षण में भाग लिया। मुझे लेख लिखने और सोशल मीडिया पर पत्रकारिता का प्रशिक्षण मिला। प्रशिक्षण के बाद, मैंने एक आदिवासी समुदाय, 'कुरवरों' पर लेख लिखना शुरू किया, मैं भी इसी समुदाय से हूँ। मैं चाहती थी कि मेरी जनजाति के बारे यह दुनिया जाने। मेरे साथ मेरे आदिवासी मित्र भी अपने समुदायों के बारे में लिखते रहे हैं, जिससे इन समुदायों को अधिक एक्सपोजर मिला है और अब अधिक लोग हमारे और हमारी संस्कृतियों के बारे में जानते हैं। इसलिए, मैं आदिवासी लाइव्स मैटर को यह मंच प्रदान करने के लिए धन्यवाद देना चाहती हूँ” जब उनसे यह पूछा गया कि आदिवासी लाइव्स मैटर द्वारा यह पुरस्कार जितने पर उन्हें कैसा लगा, तो उन्होंने जवाब दिया, “मैं इंडिया टुडे ग्रुप और कॉस्मोपॉलिटन की आभारी हूँ कि उन्होंने हमारे प्रयासों को प्रोत्साहित किया और आदिवासी आवाज़ों को बढ़ाने में हमारी मदद की। इस पुरस्कार ने हमें और भी अधिक कहानियां साझा करने के लिए प्रेरित किया है।"

यह स्पष्ट है कि आदिवासी लाइव्स मैटर न केवल अपने रचनाकारों के जीवन में, बल्कि बड़े पैमाने पर समाज में भी सार्थक प्रभाव पैदा करने में सफल रहा है। यह सब आदिवासी आवाज़ों के लिए एक मंच बनाने के एक विचार, एक विजन के साथ शुरू हुआ। इस विजन के बारे में बात करते हुए, आदिवासी लाइव्स मैटर के सह-संस्थापकों में से एक ने कहा, “साढ़े दस करोड़ आदिवासियों वाले देश में, जहाँ 500 से अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं, यहाँ कहानियों की कमी कभी नहीं रही। कमी थी एक तंत्र की जिसके जरिए ये कहानियां अधिक से अधिक आदिवासियों के साथ-साथ शहरी समुदायों तक पहुंचे। इसी तंत्र को बनाने की पहल #AdivasiAwaaz ने किया है। हमने हमेशा आदिवासियों और ग़ैर आदिवासियों के साथ-साथ स्वयं आदिवासी समुदायों के बीच भी बातचीत को बनाए रखने का प्रयास किया है। और यह कई मीडिया के साथियों और समाज के विभिन्न वर्गों की आवाज़ों के सहयोग के बिना संभव नहीं है। यह पुरस्कार आदिवासी युवाओं की ज़मीनी आवाज़ों के लिए है, जो डिजिटल कहानी के माध्यम से अपनी संस्कृति और भाषा को संरक्षित करना जारी रखे हुए हैं।”

हम उम्मीद करते हैं कि इसी तरह आदिवासी समुदायों की संस्कृति, विरासत और भाषाओं के संरक्षण के प्रयास में, अधिक से अधिक आदिवासी अपनी कहानियों का कॉन्टेंट बनाकर दुनिया के दर्शकों के सामने लाना जारी रखेंगे।

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