पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित
हर मौसम में गांव में उनके तरह के फल देखने को मिलते हैं। अभी फिलहाल मुनगा फल की खरीदी गांव में बहुत जोर-शोरों से चल रहा है। जिसे गांव के लोग ऊंचे दामों में बिक्री कर रहे हैं। जिससे लोगों की अच्छी खासी आमदनी होती है। हमारे गांव में मुनगा के सबसे ज्यादा पेड़ हैं और इस साल मुनगा के फल बहुत ही ज्यादा फले हैं। हमारे गांव में हर साल मुनगा फल खरीदने के लिए बाहर से लोग आते हैं। जिन्हें गांव क्षेत्र में कुचिया के नाम से जाना जाता है और वे सभी के घरों के मुनगा फल को उचित दामों में खरीद कर ले जाते हैं।
यह जो मुनगा (सहजन) का वृक्ष होता है, वह सभी गांव में देखने को नहीं मिलता है। लेकिन, हमारे कोरबा जिला में स्थित ऐसे बहुत से गांव हैं, जहां मुनगा का वृक्ष बहुत अधिक संख्या में देखने को मिलेगा। शहरों में मुनगा फल की बिक्री बहुत ज्यादा होती है। क्योंकि, शहरों में मुनगा फल मिल पाना संभव नहीं होता।
जब तक मुनगा का फल बहुत मुलायम रूप में हो, जिसमें बीज भी ना आया हो और जिसे तोड़ने पर वह बहुत आसानी से टूट जाता हो। उसी तरह के मुनगा के फल को गांव के लोग खरीदते हैं और उसे एक फ्रिज या शीतल घर में स्टोर करके रखते हैं, जो टीन का बना होता है, जो गांव-गांव में बनाये गए होते हैं। मुनगा के फल को वहाँ तीन या चार महीनों के लिए रख देते हैं। और जब तक वह खाने लायक नहीं हो जाता, उसे बाहर नहीं निकालते हैं। और जब गांव में सब्जी की कमी होती है, तो इसी मुनगा फल को गांव में उचित दामों में बेचा जाता है, जिससे कुचिया लोगों को डबल मुनाफा होता है।
हमने मुनगा फल खरीदने वाले कुचिया (बिचौलिया) लोगों से चर्चा किया कि, आखिर वे मुनगा फल का क्या करते हैं? इसपर उन्होंने हमें बताया कि, मुनगा फल को गांव से खरीद कर उसे शहर में ले जाते हैं और वहाँ मुनगा फल को थोक में बिक्री कर देते हैं या इसे गोंद बनाने वाले फैक्ट्रियों में भेजा जाता है।
जब मुनगा वृक्ष में फल लगना शुरू होता है, उसके 2 या 3 सप्ताह बाद मुनगा का फल छोटे-छोटे लड़ी के रूप में होता है, जो बहुत ही मुलायम होता है और उसे ही खरीदते हैं। तब मुनगा के ऊपरी छिलका बहुत ही कोमल होता है और अगर मुनगा फल में मोटा बीज आ जाता है तो उसे नहीं खरीदा जाता है। क्योंकि, वह कोई काम का नहीं होता है, ना ही उसे खा सकते हैं और ना ही उसे बिक्री कर सकते हैं।
मुनगा फल के बहुत ही ज्यादा मोटा होने के बाद, उससे रस्सी के समान छिलके निकलने लगते हैं, जो खाने योग्य नहीं होता है। अगर आप इस की सब्जी के बारे में बात करें तो, मुनगा का सब्जी बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होता है, जिसे खाने में बहुत ही अच्छा लगता है। मुनगा के दो तरह के वृक्ष पाए जाते हैं, एक सागवान वृक्ष और एक बारहमासी वृक्ष। सागवान मुनगा साल में एक बार फल देता है और बारहमासी मुनगा हर मौसम में मुनगा फल देता है।
पोंडी ब्लाक के अंतर्गत आने वाला कोडगार क्षेत्र के 30 वर्षीया निवासी प्रितपाल ने हमें बताया कि, कोडगार गांव में रहने वाले सभी लोगों के घरों में 5 या उससे अधिक मुनगा का पेड़ आपको देखने को मिलेगा और इस साल मुनगा के फल में बहुत ही ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। जिससे गांव के आदिवासी लोगों को बहुत ही ज्यादा फायदा हुआ है। एक मुनगा वृक्ष की बिक्री लगभग 1000 में की गई है और अलग-अलग क्षेत्रों में मूनगा की कीमत अधिक या कम देखने को मिलता है। अगर हम मुनगा वृक्ष में लगे फल के बारे में बात करें तो इसबार एक वृक्ष से लगभग पांच से छः बोरी मुनगा का फल प्राप्त हुआ है। जिससे बेचने वालों को भी मुनाफा हुआ है और खरीदने वालों को भी फायदा हो रहा है।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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