पोस्टर बैनर चिपका कर आदिवासी गाँवों के लोगों को जागरूक कर रहे हैं स्वयंसेवी संस्थाएं
दुनिया के कई हिस्से अभी भी कोरोना महामारी की चपेट में हैं। भारत में कल 62 हजार मामले दर्ज किए गए। ऐसी गंभीर स्थिति में लोगों को जागरूक करने की बहुत आवश्यकता है की वे कैसे इस रोग से बच सकते हैं l वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी भाई बहनों को भी जागरूक करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि एक बच्चे को पढ़ना-लिखना सिखाना l ऐसा इसलिए क्योंकि गांवों में वैक्सीन और कोरोना वायरस को लेकर कई तरह की झूठी अफवाहें फैलाई जा रही हैं l


आइए इनसे मिलते हैं, ये हैं कुमारी रमशिला राठिया, जो अपने गांव में पोस्टर चिपका कर लोगों को जागरूक कर रही हैं की सभी वयस्क टीका लगवाने के लिए समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं और समाज में फैली अफवाहों में ना फंसे रहे। रमशिला जी कोरबा संच देवपहरी विद्यालय, ग्राम जांताडाड, की आचार्य दीदी हैं और उनके द्वारा बहुत ही सराहनीय कार्य किया जा रहा है। इन्होंने अपने संच प्रमुख श्री चंद्र कुमार राठिया जी के मार्गदर्शन द्वारा पोस्टर बैनर प्राप्त किया है जिसको आचार्य दीदी ने अपने गांव के पंचायत भवन, आंगनबाड़ी भवन,राशन दुकान, सामाजिक चबूतरा, हैंड पंप सभी जगह चिपका दिए जहां पर लोगों की नजर पड़ती है। वे चाहती हैं की ज्यादा से ज्यादा लोग इसे पढ़ें और अफवाह में ना फसें, तथा नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर टीका लगवाएं और स्वयं के साथ अपने परिवार वालों को भी सुरक्षित रखें l

एकल का जान जागरूकता अभियान एक वनांचल क्षेत्र के ग्राम पंचायत टापरा में भी जारी है जहां लोगों को दीवार लेखन के माध्यम से आचार्य दीदी और भैया के द्वारा जागरूक किया जा रहा है। इस लेखन में कोरोना से संबंधित स्लोगन तथा उनके भ्रम जो समाज में फैली है उनके पीछे की सच्चाई बताई जा रही है। लोगों को वेक्सीनेशन कराने के लिए दिन रात मेहनत करके स्वयं के पैसे से रंग रोगन खरीद कर लोगों के घरों के दीवारों पर लेखन कर चित्र स्लोगन आदि के माध्यम से लोगों को कोरोना के प्रति जन जागरूकता फैला रहे हैं तथा टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैंl
एकल फाउंडेशन वन बंधु परिषद के द्वारा आदिवासी समाज में रहने वाले लोगों के लिए एक निशुल्क एकल आरोग्य हेल्पलाइन नंबर 01141236457 लॉन्च किया गया है जिस पर कॉल करके कोरोना से संबंधित एवं अन्य बीमारी से संबंधित होम्योपैथिक, एलोपैथिक एवं आयुर्वेदिक की समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके माध्यम से आदिवासी भाई-बहने अपने समस्या को फोन के माध्यम से संबंधित डॉक्टर को बता सकते हैं और उनसे प्राथमिक सलाह लेकर कोरोना महामारी से स्वयं को एवं अपने परिवार वालों को बचा सकते हैं तथा साथ में पूरे गाँववाले भी सुरक्षित हो सकते हैंl वर्तमान समय में इस एकल आरोग्य हेल्पलाइन के माध्यम से हजारों परिवारों को इससे सहयोग प्राप्त हो चुका है जिससे लोगों की समस्याओं में कमी आई है यह एक कारगर सिद्ध हो रहा है आदिवासियों के लिए l
इस प्रकार हमने देखा कि भारत वर्ष में संचालित हो रही एकल विद्यालय बहुत सारे वनांचल क्षेत्रों मेंचल रही है जो एक समाजसेवी संस्था के रूप में कार्य कर रही है l जिस समय लोगों को दूसरे की सहारा की जरूरत होता है उसी समय एकल फाउंडेशन पहाड़ों जंगलों पर निवास करने वाले आदिवासी भाई बहनों के लिए कार्य कर रहा है l ये फाउंडेशन ग्रामीण क्षेत्रों में एकल विद्यालय खोलकर वहां एक आचार्य की नियुक्ति करके वहां पर पंचमुखी शिक्षा के माध्यम से लोगों में जन जागरूकता लाने का कार्य करती है जिससे ग्रामीण लोगों को अनेकों प्रकार का लाभ मिल पा रहा है।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।