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जैविक कीटनाशक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं लेकिन क्या लोग इसका उपयोग कर रहे हैं?

श्रीमती महेश्वरी बाई दीवान ग्राम बनगवां, जिला गरियाबंद की रहने वाली एक आदिवासी हैं। वह समूह के माध्यम से जैविक खाद और कीटनाशक बनाती हैं। हालाकी सरकार जैविक खाद और कीटनाशक का जोर शोर से प्रचार करती है लेकिन गाँवों में इनकी बिक्री बहुत कम होती है। कारण यह है कि अधिकांश किसान अभी भी बाजार से रासायनिक कीटनाशक का उपयोग करना पसंद करते हैं। रासायनिक कीटनाशक तुरंत खेत में काम करते हैं, लेकिन जैविक कीटनाशक को परिणाम दिखाने में कुछ दिन लगते हैं।

आजकल खरीफ फसलों का मौसम है और उन्हें कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशकों की आवश्यकता होती है. Photo by Augustus Binu

माहेश्वरी बाई पिछले कुछ वर्षों से जैविक कीटनाशक और खाद के बारे में जागरूकता पैदा कर रही हैं, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी बात नहीं मानी। छत्तीसगढ़ में उनके जैसी ही कई महिलाएं हैं जो घर पर ही जैविक खाद बनाती हैं और अपने खेतों में इस्तेमाल करने के साथ ही उसे ग्रामीणों को भी बेचती हैं। गाँव के कुछ किसान कीटनाशक के लिए ऑर्डर देते हैं और इसे लीटर में खरीदते हैं। प्रत्येक लीटर की कीमत 60 रुपये है। औसतन, 4 एकड़ खेत में 6 लीटर कीटनाशक की आवश्यकता होती है। इन दिनों खरीफ की फसल लगाई जा रही है, इसलिए उन्हें कीटों से बचाने के लिए धान पर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है।

श्रीमती महेश्वरी बाई दीवान घर पर जैविक कीटनाशक बनाती हैं

अगर हम इस खाद के बारे में बात करें तो यह जैविक खाद और कीटनाशक बहुत ही लाभदायक व उपयोगी है। जैविक खाद को घर के कचरे का उपयोग करके बनाया जाता है और कीटनाशक को नीम के पत्तों के इस्तेमाल से बनाया जाता है। यह मिट्टी या पर्यावरण को प्रदूषित या क्षतिग्रस्त नहीं करता है। पहले लोग अपने खेतों में केवल जैविक खाद का उपयोग करते थे लेकिन अब रासायनिक खाद या कीटनाशक आ जाने के कारण जैविक खाद की मांग बहुत कम होगयी है। रासायनिक खाद या कीटनाशक मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, लेकिन फिर भी लोग उच्च मात्रा में इसका उपयोग करते हैं।


आप घर पर ही जैविक कीटनाशक बना सकते हैं। महेश्वरी बाई पिछले कुछ सालों से यह जैविक खाद अपने घर में बना रही है। जैविक खाद/कीटनाशक बनाने की सामग्री- पानी, गोबर, गौमूत्र, नीम की पत्ती।

नीमास्त्र बनाने की विधि - नीमास्त्र बनाने के लिए एक ड्रम में पानी लेकर नीम के पत्तों का पेस्ट बनाकर पानी में अच्छी तरह से मिलाया जाता है। उसके बाद उसी प्रकार गोबर और गोमूत्र को भी पानी में मिलाया जाता है। इन सभी सामग्रियों को मिलाने के पश्चात एक बड़ी लकड़ी की सहायता से हर रोज सुबह ,दोपहर ,शाम को हिलाया जाता है। 2 दिन बाद एक पतले कपड़े की मदद से इस मिश्रण को छान लेते हैं। यह छना हुआ घोल को खेत में लगी कीटो को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है । यह खाद 3 महीने तक खराब नहीं होता है। इसका उपयोग करते समय इसमें पानी नही मिलाया जाता है। इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।


नीमास्त्र जैविक खाद का उपयोग - जब पौधे छोटे होते हैं तब उनपे कीटनाशक छिड़का जाता है तो इसमें लगने वाले कीडे व पत्ती खाने वाले कीड़ों से उस पौधे को बचाया जा सकता है।


यह सारी जानकारी श्रीमती महेश्वरी बाई दीवान ने दी है ।अगर आपको भी इस जैविक खाद के बारे में जानकारी चाहिए या खाद की जरूरत है तो आप इनसे संपर्क कर सकते हैं।


यह आलेख आदिवासी आवाज़ प्रोजेक्ट के अंतर्गत मिजेरियोर और प्रयोग समाज सेवी संस्था के सहयोग से तैयार किया गया है।

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