कोरबा जिले के ग्राम पंचायत रामाकछार के ढिटोरीतरी गाँव में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही नल-जल योजना विफल नजर आ रही है। पानी पीने से लेकर नहाने तक, और तो और पशुओं को भी पिलाने के लिए पानी की कमी हो रही है। कई बार मांग करने के बावज़ूद ग्रामीणों को पीने का साफ़ पानी नहीं मिल रहा है।
अपनी इस समस्या को लेकर यहाँ के लोगों ने कई बार लोकसभा एवं ग्रामसभा शिविरों में लिखित या मौखिक रूप में आवेदन डाला फ़िर भी यह समस्या जस की तस बनी हुई है। बता दें कि ग्रामीणों ने CM हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत भी किए हैं, लेकिन अब तक कोई भी हल नहीं निकला है। ग्रामीण बताते हैं कि गाँव के मुखिया पीएचई विभाग को आवेदन लिखते हैं फिर भी उक्त विभाग से कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जिसके कारण पूरा गाँव पानी के लिए तरस रहा है, ग्रामीणों को पानी के लिए पुरानी जमाने की ढोड़ी यहाँ के पानी से ही ग्रामीणों का गुजारा होता है। पानी के लिए ग्रामीणों को एक किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, पानी के लिए उन्हें पथरीले घाट और जंगली रास्तों का मुश्किल सफ़र भी करना पड़ता है।
बारिश की मौसम को छोड़कर यहाँ साल में 4 से 5 माह पानी की अत्यधिक समस्या रहती है, इससे निजात पाने के लिए इस गाँव के प्रत्येक सदस्य रोज़ाना घाट के पथरीले जंगली रास्तों से होकर सफ़र करते हैं। इस सफ़र में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सभी शामिल होते हैं और अपने कंधे तथा सिर पर पानी ढोकर लाते हैं। यह भी पता चला है कि एक ही ढोड़ी से गाँव के पूरे ग्रामीण गुजारा करते हैं, जहाँ पीने का पानी भरा जाता है, वहीं लोग नहाना धोना भी करते हैं। यहाँ पंचायत द्वारा न तालाब दिया गया है और न ही ढबरी।
इस गाँव में लगभग 30 परिवार निवासरत हैं, जिन्हें पेयजल, राशन, आदि के लिए भारी मशक्क़त करनी पड़ रही है। ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल के साथ ही इस गाँव में दो वक़्त की रोटी की समस्या भी है इस गाँव के ग्रामीण 3 किलोमीटर चलकर ग्राम पंचायत रामाकछार से राशन लेने के लिए जाते हैं। जनप्रतिनिधि अक़्सर यहाँ दौरा करने आते हैं और बड़े-बड़े वादे करके जाते हैं, लेकिन इन समस्याओं का समाधान कोई नहीं कर रहा है।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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