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नल-जल योजना के बावजूद, इस गांव में, आज भी है, पीने के पानी की समस्या

Writer: Ajay KanwarAjay Kanwar

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


छत्तीसगढ़ में, नल-जल योजना के माध्यम से, अनेकों गांव के लोगों की पानी की समस्या दूर हो रही है। इस योजना के आने से, अब लोगों को गंदे पानी से छुटकारा मिल रहा है। लेकिन, कुछ गांव, आज भी ऐसे हैं, जहाँ पानी की समस्या लगातार बनी हुई है। पीने के पानी के लिए, घंटो लाइन लगानी पड़ती है, तो वहीं कहीं-कहीं पर, पानी की गहराई इतनी ज्यादा होती है कि, हैंडपंपों से निकलने वाले पानी भी सूख जाते हैं। जिससे, लोग नदी-नाले या डबरी-तालाबों के पानी को पीने के लिए मजबूर हो जाते हैं। और ऐसी जगहों के पानी को पीने से, बीमार होने की संभावना भी अधिक हो जाती है।

नल-जल योजना के तहत, बनाया गया नल

गांव के अधिकतर लोग, आज भी कुँए, तालाबों और नदियों के पानी का उपयोग करते हैं। और इन जगहों का पानी, गंदा होना आम बात है। फिर भी गांव के आदिवासी, इन जगहों के पानी को पीने के लिए मजबूर होते हैं। ऐसा ही एक गांव है, जहाँ के लोगों को, आज भी नदी के पानी का उपयोग करना पड़ रहा है। वैसे तो छत्तीसगढ़ में, सरकार द्वारा नल-जल योजना के माध्यम से, गांव के हर घर को नल कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। जिससे, शहरों सहित गाँवो में भी पानी की समस्या ना हो और वे सभी नदी-नालों जैसे गंदे पानी के उपयोग से बचें, जिनका वे पीने के लिए उपयोग करते हैं।


कोरबा जिले के, ग्राम गरकटरा में भी, पानी की समस्या बहुत ज्यादा है। यह गांव, पहाड़ी क्षेत्र में है और पहाड़ के किनारे बसा हुआ है। इसलिए, इस गांव के जमीन के नीचे, पत्थर की चटटाने हैं। और इन पत्थरों के नीचे, पानी के स्रोत भी बहुत कम हैं। यहां, कहीं-कहीं कुछ पानी मिलती है। लेकिन, यह पानी, सिर्फ एक परिवार की पूर्ति कर पाती है। उसके बाद, पानी खत्म हो जाता है, तो बाकी लोगों को, फिर से पानी का इंतजार करना पड़ता है। इस गांव की जनसंख्या, एक हजार से ज्यादा है। जहाँ, पीने के पानी की पूर्ति के लिए, लगभग 15 से 20 शासकीय हैंडपंपों को लगाया गया है। लेकिन, इन हैंडपंपों में से 4 से 5 हैंडपंप ही ऐसे होंगे, जो सही तरीके से चल रहे हैं। बाकी, सभी हैंडपंप, पानी की कमी के वजह से, बंद होकर खराब हो गए हैं।


गांव के लोगों को, कार्यक्रमों के दौरान होती है, सबसे ज्यादा पानी की समस्या


जब इस गांव में, किसी के घर शादी, छट्टी, दशगात्र आदि जैसे कार्यक्रम होतें हैं, तो इस दौरान बहुत ज्यादा पानी की समस्या होती है। ऐसे कार्यक्रमों में, अधिक संख्या में मेहमान आते हैं। जिससे, उनके पीने के लिए, पानी की व्यवस्था करना अतिआवश्यक हो जाता है, साथ ही अधिकतर ‘शादियाँ’ गर्मी के समय में होती हैं। और गर्मी में, पानी का जलस्तर नीचे की ओर चला जाता है। जिससे, पानी बहुत कम ही निकल पाता है। इसलिए, ऐसे कार्यक्रमों के समय, यहाँ के लोग, नदी के पानी को पीने के लिए, मजबूर हो जाते हैं। बहुत से लोग, ऐसे कार्यक्रमों के लिए, 'पानी टंकी' बाहर से मंगाते हैं। ताकि, लोगो को पानी की समस्या न हो।

खराब पड़ा हैंडपंप

बार महोत्सव में भी होती है, पानी की समस्या


इस गांव में, आदिवासी कंवर समाज के अलावा कोरवा, बिंझवार, मंझवार और मांझी समाज भी निवास करते हैं। ये आदिवासी, प्रत्येक 5 साल बाद, इस गांव में, ‘बार’ महोत्सव का आयोजन करते हैं। जिसमें, सभी समाज के लोग मिलकर, इसे मनाते हैं। 12 दिनों तक नाच-गाना करने के बाद, आखरी दिन में, खाने-पीने की व्यवस्था की जाती है। जिसमें, सभी समाजों के लोगों को, विशेष रूप से निमंत्रण दिया जाता है। जिसमें, गांव के लोगों द्वारा 'बकरा का मीट' खिलाने का, विशेष प्रचलन है। और इस महोत्सव में, भारी संख्या में लोगों की भीड़ होती है। जिसके लिए, पानी की पूर्ति करना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है। और उस समय, यहाँ के लोग, नदी के पानी का उपयोग पीने और खाना बनाने के लिए करते हैं।

बार महोत्सव में, इसी नदी के पानी को पीते हैं

नल-जल योजना से हो सकती है, पानी की समस्या दूर


छत्तीसगढ़ में, लगातार नल-जल योजना का कार्य हो रहा है। गरकटरा गांव में भी, इस योजना का काम चल रहा है। सभी के घर, नल कनेक्शन लगभग पहुँच चुका है। कुछ पाइप और लगाने हैं। उसके बाद, अगर पानी अच्छे से मिलगा, तो गांव के आदिवासियों को, नदी के पानी से छुटकारा मिल सकता है।


ग्राम गरकटरा के, पवन सिंह का कहना है कि, “हमें, पहले पानी के लिए, बहुत दूर जाना पड़ता था। इसलिए, हमने अपने घर में ही बोर-वेल खुदाई करवा लिए थे। लेकिन, ये बोर अच्छे से पानी नही देता है। ये सिर्फ, हमारे परिवार तक के लिए, पानी की पूर्ति कर पाता है, फिर सुख जाता है।” साथ ही उनका कहना है कि, “हमारे गांव में नहाने के लिए, पर्याप्त पानी है। क्योंकि, यहाँ नदी है। जिसमें, हमेशा पानी रहता है। इस गांव में, सिर्फ पीने के पानी के लिए समस्या होती है।“


राज्य के, सभी जिलों के गांवों में, शासकीय योजनाओं को पहुंचाने का कार्य किया तो जा रहा है। लेकिन, इसके बावजूद भी कुछ ऐसे गांव होते हैं, जहाँ मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित रहते हैं। ऐसे गाँवो पर, विशेष ध्यान देना चाहिए। जिसके लिए, गांव के सरपंच को इन सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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