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बदलते हुए मौसम की वजह से आदिवासियों के जीवन पर पड़ रहा व्यापक असर

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


कुछ दिन से मौसम ने अपना करवट इस तरह से बदल लिया है कि, सभी लोग परेशान नजर आ रहे हैं। क्योंकि, अभी महुआ फूल झड़ने का समय है और वनांचल क्षेत्रों में महुआ फूल इकट्ठा करने में गांव के लोग लगे हुए हैं। लेकिन, बेमौसम बारिश होने के वजह से वनांचल क्षेत्र के लोग महुआ फूल इकठा नहीं कर पा रहे हैं। यहाँ आठ दिनों से लगातार बारिश हो रही है। जिसके वजह से गाँव के लोग महुआ फूल इकट्ठा करने नहीं जा पा रहे। इन क्षेत्रों में महुआ फूल आदिवासियों के जीवन जीने का एकमात्र सहारा है। महुआ फूल को इकट्ठा कर, उसे सुखाकर, फिर उसे बेचकर कुछ आमदनी कमाते हैं। तभी जाकर अपने परिवार वालों का पालन-पोषण कर पाते हैं।

महुआ चुनती हुई महिला

बारिश होने की वजह से महुआ फूल तो इकट्ठा नहीं कर पा रहे, साथ-ही-साथ और दूसरा काम भी गांव के लोग नहीं कर पा रहे। गांव में रहने वाले लोग रोजी-मजदूरी कर अपना जीवन व्यतीत करते हैं और लगातार बारिश होने की वजह से बाहर भी काम करने नहीं जा पा रहे। जिसके वजह से लोग बहुत ही ज्यादा परेशान हैं। आप सभी भली-भांति जान रहे रहे हैं कि, महुआ फूल को आदिवासी, क्षेत्र में इकट्ठा कर ऊंचे दामों में बिक्री करते हैं। जिससे कुछ अच्छा खासा आमदनी भी प्राप्त हो जाता है। इसके अलावा महुआ फूल को सालों तक इकट्ठा कर आदिवासी अपने देव तुल्य को अर्पित करने के लिए रखे रहते हैं। लेकिन, इस साल महुआ को इकट्ठा करना बहुत ही मुश्किल हो रहा है। क्योंकि, पानी के वजह से महुआ फूल में कीड़े लग जा रहे हैं और बारिश की वजह से महुआ फूल का रंग काला पड़ जा रहा है, जो कोई काम का नहीं होता। हम काले रंग के महुआ फूल को बिक्री नहीं कर सकते और ना ही इस तरह के महुआ फूल को लाटा बनाने में प्रयोग में ला सकते हैं।


अगर, हम दूसरे क्षेत्र के बारे में बात करें तो दूसरे क्षेत्रों में भी बारिश हो रही है। लेकिन, थोड़ा बहुत धूप निकलने की वजह से थोड़ा बहुत महुआ फुल इकट्ठा कर पा रहे हैं। साथ-ही-साथ किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। किसानों के द्वारा लगाए गए साग-सब्जी के फसल पूरी तरह से नष्ट हो गए। बेमौसम बारिश की वजह से किसानों का कहना है कि, लगातार बारिश की वजह से फसलों में कीड़े लग चुके हैं और उन सब्जियों को हम मंडी में बिक्री नहीं कर सकते। किसानों का कहना है कि, इस साल हमें भारी नुकसान उठाना पड़ा, हमें लगा था कि, जितना पैसा लगाकर हम बीज खरीद कर फसल लगाएं हैं, उससे कई ज्यादा मुनाफा होगा। लेकिन, बारिश के वजह से सभी फसल नष्ट हो गए। मुनाफा होने की जगह में हमें नुकसान भरना पड़ा।

काले रंग के महुआ फूल

कोरबा जिला के अंतर्गत आने वाला पोंडी ब्लॉक, जिसके अंतर्गत वनांचल क्षेत्र आते हैं। उसी में से एक कोडगार ग्राम है। जहाँ के निवासी उतरा सलाम जी हैं, जिनकी उम्र 30 वर्ष है। उन्होंने हमें बताया कि, "अभी कुछ दिनों से बहुत बारिश हो रही है और यह बारिश कितने दिनों तक चलेगी, यह मालूम नहीं है। लेकिन, बारिश के वजह से हमारी जो रोजी-रोटी थी, वह भी हमारे हाथों से दूर होते हुए नजर आ रहा है। क्योंकि, हम वनांचल क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी हैं, जो जंगलों से प्राप्त फल-फूल, कंद-मूल आदि को इकट्ठा कर अपना जीवन-यापन करते हैं। उसी तरह अभी महुआ फूल को इकट्ठा करने का समय है। लेकिन, बारिश की वजह से महुआ फूल भी इकट्ठा नहीं कर पा रहे। थोड़ा बहुत अगर धूप निकल जाता है तो, थोड़ा बहुत महुआ फूल इकट्ठा कर लेते हैं। लेकिन, बारिश में भी महुआ फूल इकट्ठा करने से कोई लाभ नहीं हो रहा। चूँकि, महुआ फूल में बहुत सारे कीड़े लग जा रहे हैं और पानी पड़ने की वजह से महुआ फूल सुख कर काले रंग के हो गए हैं। जिसे दुकानों में हम बिक्री नहीं कर सकते, दुकानदार काले रंग के महुआ फूल को नहीं खरीदते और महुआ फूल ऐसे ही बेकार हो जाता है।"

उतरा सलाम

उन्होंने हमें और भी बातें बताई कि, "पिछले साल की अपेक्षा इस साल महुआ फुल इकट्ठा नहीं कर पा रहे। पिछले साल हमने 5 कुंटल महुआ फूल इकट्ठा किए थे। हमें अच्छा खासा आमदनी भी प्राप्त हो गया था। लेकिन, इस साल तो एक बोरी महुआ फुल इकट्ठा करना भी असंभव नजर आ रहा है।"


बारिश होने की वजह से इस साल महुआ फूल का दाम नीचे गिर गया है। पिछले साल के अपेक्षा इस साल गांव के लोग ज्यादा महुआ फूल इकट्ठा करने नहीं जा रहे हैं। महुआ फूल इकट्ठा करने गिने-चुने कुछ लोग ही जा रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान गांव वालों को हुआ है। क्योंकि, गांव क्षेत्र के लोग व पहाड़ी क्षेत्र के लोग ज्यादातर फलदार पेड़-पौधे व जंगलों में ही निर्भर रहते हैं। आसान शब्दों में कहा जाये तो, वनांचल क्षेत्र के आदिवासी, जंगलों से प्राप्त चीजें पर ही अपनी रोजी-रोटी के लिए निर्भर होते हैं।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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