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जानिए बीजाझोरी के किसान फूलगोभी की खेती कैसे करते हैं

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


भारतीय बाजार में तीन प्रकार के गोभी उपलब्ध होते हैं, फूलगोभी, बंधा गोभी और गाठ गोभी। फूल गोभी लगाने के लिए सबसे पहले बीज का चयन करना पड़ता है कि, कौन से कंपनी का बीज लगाया जाए। जिससे किसान को लाभ ही लाभ मिले। बीज का चयन करने के बाद, किसान बीज लगाने के लिए एक नर्सरी तैयार करता है। फिर, नर्सरी में एक पाटीदार नाली बनाता है। जिसमें मिट्टी के साथ-साथ गोबर को मिलाया जाता है। उसके बाद चयनित कंपनी के बीज को उस नर्सरी में रोप दिया जाता है।

नर्सरी में लगे पौधे

बीजों को रोप देने के दो-तीन दिन बाद छोटे-छोटे पौधे बीज से बाहर आते हैं और वे छोटे पौधे नाजुक रहते हैं। इसलिए, दो दिन तक उनको पैरा से ढकना पड़ता है। क्योंकि, पानी ज्यादा मात्रा में पौधे में पढ़ने से पौधा नष्ट हो जाता है। पौधा जैसे ही थोड़ा बढ़ता है तो उनको ड्रिप के माध्यम से पानी देना पड़ता है। खेतों में लगाने के लिए कुल 20 दिन मैं पौधा तैयार होता है। किसान पौधा तैयार करने के साथ-साथ अपने खेतों को भी तैयार करके रख लेते हैं। क्योंकि, सही समय पर पौधों को खेतों मैं लगाना होता है। फिर, खेत की जोताई करके और खेत में रोटावेटर चलाकर मिट्टी को तोड़कर नाली निकाला जाता है। उसके बाद तैयार क्यारियों में पौधों को एक-एक फीट की दूरी में लगाते हैं।

तैयार की गयी खेत

तस्वीर में अब देख सकते हैं कि, खेत में फूलगोभी के पौधे लग चुके हैं। जिसमें बोर की मदद से पौधों को पानी देने के लिए, नोजल चलाया जा रहा है। क्योंकि, पौधा लगने के बाद उनको पानी की आवश्यकता पड़ता है। ताकि, पौधे मिट्टी में अपनी पकड़ बना सकें। यदि, पौधों को सही समय पर पानी ना दिया जाए तो पौधे सुख जाते हैं और सूखने के बाद पूरा फसल ही खराब हो जाता है। फिर, पौधों को बढ़ाने के लिए डीएपी का प्रयोग किया जाता है। पत्तियों में किट नहीं लगने के लिए कीटनाशक का भी छिड़काव किया जाता है।

खेत में लहलहाते फूलगोभी

पत्तियों और गोभी में किट लगा है या नहीं और गोभी मैं आने वाले रोग का भी देखभाल करना पड़ता है। क्योंकि, बीमारी लगने पर फूलगोभी में दाग लगना स्टार्ट हो जाता है। और दाग लगे हुए गोभी को मार्केट में बेचने जाओ तो उसकी कीमत अन्य गोभी की तुलना में कम लगेगा।

किसान गाड़ी में फूलगोभी लोड करते हुए

फूलगोभी का फसल 60 से 70 दिनों में बेचने लायक तैयार हो जाता है। फिर, मजदूरों की मदद से फूलगोभी को काटकर खेतों से बाहर निकाला जाता है और गोभी को तौल कर पारदर्शी पॉलिथीन से पैक करना पड़ता है। क्योंकि, यदि गोभी को बोरी में भरकर बेचने ले जाओगे तो, गोभी लेने वाला उसको बिना देखे लेने के लिए राजी नहीं होगा। क्योंकि, मार्केट में बहुत से प्रकार के गोभी बेचाने के लिए लाये जाते हैं। इसलिए, फूलगोभी को एक पॉलिथीन में 10 किलो के हिसाब से पैक करके गाड़ी में डालकर सीधा मंडी भेजने के लिए ले जाया जाता है। फिर, किसान को जिस मंडी में गोभी का उचित मूल्य मिलता है, वहां बेचने के लिए ले जाते हैं।

हेमंत साहू

ग्राम बीजाझोरी के रहने वाले हेमंत साहू, जो 6 वर्षों से फुलगोभी की फसल लगा रहे हैं और वर्तमान में अपने 6 एकड़ खेत में गोभी लगाए हुए हैं। उनका कहना है कि, फूलगोभी एक वाणिज्यिक फसल है। जिसमें रेट के अनुसार गोभी निकलने पर किसान को मुनाफा मिलता रहता है।


किसान सलाहकार आनंदसिंह का कहना है कि, फुल गोभी की फसल के लिए पान सीट शीतल अच्छी किस्म की गोभी है। क्योंकि, इस वैरायटी की गोभी में रसायनिक खाद का उपयोग कम करना पड़ता है और इसके गोभी एक से डेढ़ किलो के साइज के रहते हैं और गोभी में दाग भी नहीं मिलता।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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