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जंगल सफारी ने छत्तीसगढ़ को दी नई पहचान, दुनिया भर से आ रहे हैं पर्यटक

छत्तीसगढ़ बना सन 2000 परंतु इसका इतिहास सदियों पुराना है। इस क्षेत्र का उल्लेख इतिहास में भी मिलता है जो कि उस समय दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था अपने इतिहास काल से ही हर क्षेत्र सघन वनों से गिरा हुआ क्षेत्र है और यहां हमेशा से ही आदिवासियों की एक अलग ही छटा देखने को मिलती रही है। 2000 में जब इस राज्य की स्थापना हुई उसके बाद से आज तक इस क्षेत्र में बहुत सारे ऐतिहासिक पौराणिक दर्शनीय स्थल की खोज की गई है जिन्हें देखने के लिए भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व से पर्यटक आते हैं। मुख्य रुप से छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी कला संस्कृति और सभ्यता के लिए जाना जाता है, लेकिन आज छत्तीसगढ़ राज्य और भी बहुत से देखने लायक ,जाने लायक स्थान भी है यह छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव, एरिया के निगरा वॉटरफॉल के नाम से प्रसिद्ध चित्रकूट वॉटरफॉल है, छत्तीसगढ़ का प्रयाग- राजिम है, इस प्रकार की बहुत लंबा सूची है हमारे पास छत्तीसगढ़ की लेकिन आज हम बात करने वाले हैं पूरे एशिया में एकमात्र मानव निर्मित जंगल सफारी की जो इसी दंडकारण्य की राजधानी रायपुर छत्तीसगढ़ में ही बना हुआ है ।

सफारी के अंदर बनी प्रतिमायें

332 हेक्टेयर में फैले इस जंगल सफारी की शुरुआत 2012 में उस वक़्त के मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह द्वारा किया गया एवं इसका उद्घाटन हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 नवंबर 2016 में किया गया। इस जंगल सफारी के अंदर 130 एकड़ का एक जलाशय भी है जिसे खंडवा जलाशय के नाम से जाना जाता है। पूरे सफारी को 4 हिस्सों में बांटा गया है जिसमें पहले हिस्से को टाइगर सफारी जोन कहा जाता है यहाँ बाघ के 6 प्रकार की प्रजातियां रहती हैं। दूसरा हिस्सा भालू सफारी जोन है, जिसमें भालू की 2 जोड़ी जोड़ियां रहती हैं, दो नर और दो मादा। तीसरे हिस्से में उन प्राणियों को रखा गया है जो सिर्फ़ शाकाहारी भोजन करते हैं, जैसे कि नीलगाय, काला हिरण आदि। चौथे और आखिरी हिस्से में है क्रोकोडाइल सफारी जोन, जहाँ पर मगरमच्छों को रखा गया है।

प्रधानमंत्री जी उदघाटन करते हुए

इस जंगल सफारी की सबसे अच्छी बात यह है कि यह मुख्य सिटी के बीचों बीच बसा हुआ है अगर आप यहाँ आना चाहते हैं, तो रायपुर से यह मात्र 15 किलोमीटर है। वहीं आप भारत की रेलवे सेवा से आना चाहते हैं तो आपको रायपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 35 किलोमीटर दूर पड़ेगा। इस जंगल सफारी में देशभर के टूरिस्ट तो आते ही हैं लेकिन विदेशों से भी बहुत सारे टूरिस्ट आते हैं। सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक के लिए यह सफारी खुला रहता है। कोविड-19 के दौर में यह सफारी भी बंद था । लेकिन सरकार के सुरक्षा गाइडलाइंस के साथ अभी फिर से जंगल सफारी को खोला गया है तो आप भी अपनी पूरी तैयारी के साथ आइएगा हमारे छत्तीसगढ़ में बने एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल सफारी देखने। इस जंगल सफारी से लगे हुए और भी बहुत सारी देखने लायक जगह हैं,जैसे कि, छत्तीसगढ़ का दर्पण पुरखौती मुक्तांगन, यहां पर आपको छत्तीसगढ़ की अनेक कला संस्कृति एवं क्षेत्र के जितने भी पर्यटक स्थल है उसकी एक मिनिएचर मॉडल यहॉं देखने को मिलेंगे।


पिछले महीने ही छत्तीसगढ़ को 21 साल हो गए हैं और यह एक युवा नौजवान राज्य के रूप में संभाल कर खड़ा हो रहा है। छत्तीसगढ़ की अद्भुत धरती पर अनेकों आकर्षक पर्यटन स्थल हैं। यदि आदिवासियों की अनुमति एवं सहायता लेकर प्लानिंग की जाए तो, छत्तीसगढ़ भी पर्यटन में अग्रणी राज्य बन सकता है।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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