top of page
Adivasi lives matter logo

क्या छत्तीसगढ़ के आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र, सड़क निर्माण में आज भी हैं पीछे?

किसी भी मंजिल तक पहुंचने के लिए एक मार्ग की आवश्यकता होती है, चाहे वह मार्ग कच्ची हो या पक्की। बीते 21 वर्षों में छत्तीसगढ़ के लगभग सभी क्षेत्रों में विकास विकास के दावे किए गए हैं। लेकिन ऐसे कई सुदूर क्षेत्र अभी भी हैं, जहाँ विकास होना एक सपना है। विकास के कार्यों से वे क्षेत्र कोसों दूर हैं।


ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन की ही सबसे अधिक परेशानी होती है, वैसे तो सड़क और पुलों का निर्माण हमारे छत्तीसगढ़ में जोरों-शोरों से चल रहा है, लेकिन उन्हीं क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, जहाँ पहले से ही सड़क निर्माण हो चुके हैं, खासकर जो क्षेत्र शहर के क़रीब हैं। सड़क के निर्माण के लिए भारत सरकार ने कई योजनाएं तैयार की है जिसके तहत गाँव से लेकर शहरों तक पक्की सड़कों का निर्माण करवाया जाना है। मध्य प्रदेश से जब छत्तीसगढ़ अलग हुआ उसी साल सड़कों के निर्माण और विकास के लिए 25 दिसंबर सन 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की गई। इसका मुख्य उद्देश्य जितने भी ग्रामीण इलाके और दुर्गम क्षेत्र हैं, वहाँ पक्की और डामरीकरण सड़क का निर्माण करवाना था। सन 2000 से लेकर सन 2021 तक सड़कों के विकास और निर्माण के कार्य किए जा रहे हैं, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत वर्ष 2013-2014 में 25, 316 किलोमीटर, वर्ष 2014-2015 में 36,337 किलोमीटर, और 2015-16 में 36,449 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया गया।

शहर से जुड़ा हुआ पक्की सड़क

जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश में था, तब लगभग पूरा क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ था, लोग उन जंगलों के रास्ते से आने-जाने से डरते थे। छोटी-छोटी पगडंडियों के माध्यम से लोग आना जाना करते थे। कोसों मिल की दूरी तय करने के लिए लोग पूरी व्यवस्था के साथ अपने घर से निकलते थे, और जिस जगह रात हो जाती थी उसी जगह अपना डेरा जमा कर रहने लगते थे। सुबह होते ही फिर उसी पगडंडी के माध्यम से वह अपनी मंजिल तक जाते थे। आवागमन की सुविधा नहीं होने की वजह से लोगों को बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता था।


आवागमन की सही व्यवस्था न होने से विकास के बाकि कार्य भी थमे हुए थे। छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद विकास के कार्य इतनी तेज़ी से होने लगे कि, लोगों को घने जंगलों को काट कर सड़क निर्माण करना पड़ा। बड़ी-बड़ी चट्टानों को खोदकर सुरंग बनाकर पक्की सड़कों का निर्माण किया गया है। पहले कच्ची सड़कों का निर्माण करवाया गया। जब धीरे-धीरे हमारा छत्तीसगढ़ प्रगति की राह पर चलने लगा तब पक्की सड़क यानी डामरीकरण करवाया जाने लगा। पक्की सड़क के बन जाने से अन्य क्षेत्रों का भी विकास होने लगा। लोगों को उनके गाँव, गली और पंहुचने के लिए सी सी रोड का निर्माण कराया गया है। अब तो डामरीकरण वाले मुख्य मार्ग को और भी बेहतर और अच्छा बनाने के लिए चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है।

इन्हीं पगडंडियों से होते हुए गाँव की ओर जाते हैं लोग

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना के तहत भी गाँवों में सड़क का निर्माण करवाया तो जा रहा है। सुगम सड़क योजना के प्रारंभ हुए कुछ ही वर्ष हुए हैं, इस योजना के अंतर्गत सरकारी भवन, ग्राम पंचायत, अस्पताल, श्मशान घाट, विद्यालय आदि इन सभी भवनों तक यह सड़क का निर्माण कराया जाना है ताकि लोग आसानी से पहुंच सकें।

छत्तीसगढ़ में 89% ग्राम सड़क का विकास हो चुका है, और भी नए योजनाएं तैयार किए जा रहे हैं, जैसे मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना। यह योजनाएँ वर्ष 2021 और 22 के लिए है, जिसमें इन 2 वर्षों में सड़क का निर्माण पूर्ण कराया जाना है, यह योजना उन सभी बसावट क्षेत्रों के लिए है, जहाँ लोग एक बार बसने के बाद अन्य स्थान पर नहीं जाते अर्थात स्थिर रहते हैं।

ख़राब हो चुकी सड़क से उड़ती धूल

जो स्थिति सन 2000 से पहले की थी आज ऐसी स्थिति नहीं है, बहुत कुछ बदल चुका है, कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ विकास का नामोनिशान नहीं है, आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहाँ सड़क का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है। कई जगह तो ऐसी सड़कें हैं, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं, लोगों के आने जाने में बहुत परेशानियां हो रही हैं, ऐसे भी रास्ते हैं जहाँ 12 माह 24 घंटे वाहन चलते रहते हैं, इस तरह की सड़कों में दुर्घटना होने की पूरी संभावना होती है। सभी जगह विकास होने के बाद भी कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ 21 वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी ध्यान केंद्रित नहीं किया जा रहा है। एक और बड़े-बड़े राजमार्ग और स्टेट हाईवे बनाने की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर कई जगह ऐसी स्थिति है कि गाँवों में पंचायत उप स्वास्थ्य केंद्र तक जाने का भी कोई विशेष मार्ग नहीं है, और ना ही ग्राम पंचायतों के द्वारा सड़क बनाने कोई पहल की जा रही है।

पथरीली पगडंडी

यह मार्ग ग्राम पंचायत बिंझरा के अंतर्गत आने वाले एक छोटा सा गाँव त्रिकूटी के मार्ग का दृश्य है, जहाँ आज तक कोई पक्की सड़क नहीं बन पाई है, इस गाँव में लोगों की जनसंख्या लगभग 1000 है। इस गाँव से 10-15 विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के लिए 5 किलोमीटर दूरी तय करके अपने विद्यालय तक इसी जर्जर सड़क के माध्यम से पहुंचते हैं, यह एक मुख्य सड़क है जिसके द्वारा गाँव के सभी लोगों का आना जाना होता है, बाज़ार, विद्यालय, राशन की दुकान, ग्राम पंचायत आदि सभी मुख्य जगहों पर जाने के लिए इसी सड़क का उपयोग किया जाता है। श्री मंगल यादव जो कि ग्राम पंचायत बिंझरा के निवासी 40 वर्षीय श्री मंगल यादव निराश मन से कहते हैं कि, "हमारे ग्राम पंचायत में विकास का कार्य तो देखने को मिल रहा है, लेकिन हमारे इस छोटे से गाँव तक पहुंचने के लिए न कोई विशेष पक्की सड़क का निर्माण नहीं करवाया गया है और न ही बिजली की कोई व्यवस्था की गई है, यह हमारे लिए बहुत ही दुःखद बात है, इतना समय व्यतीत होने के बाद भी हमारे गाँव में कोई विकास का कार्य नहीं किया जा रहा है।"


कहा जाता है कि, किसी भी क्षेत्र के विकास का अंदाजा वहाँ की सड़कों को देखकर लगाया जा सकता है। सड़कें मूलभूत सुविधाओं में से एक है, ऐसे में सरकार को उन सभी क्षेत्रों में सड़कें बनवानी चाहिए जहाँ अच्छी सड़कों की कमी है। गाँव के लोगों को भी अच्छी सड़क बनवाने के लिए पहल करनी चाहिए।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

bottom of page