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अपने कविताओं द्वारा समाज में परिवर्तन लाना चाहता है यह युवक

यूँ तो दुनिया में एक से बढ़कर एक कवि, कविताओं को लिखने वाले और उनका चिंतन मनन करने वाले लोग मिल जाएंगे, लेकिन गाँवों में बहुत कम लोगों को ही कविताओं की जानकारी होती है, जो वर्तमान स्थितियों के अनुसार उन पर अपने भाव प्रकट करते हुए अपनी भावनाओं को कविता का रूप दे पाते हैं। यह कला हर किसी को नहीं आती, गौतम चंद्र प्रजापति एक ऐसे ही कलाकार हैं, जो अपने गाँव क्षेत्र में कविताओं के माध्यम से अपनी भावनाओं को प्रकट करते रहते हैं। उनकी कविताएं छोटे-छोटे शब्दों में कभी कभार पल्स पोलियो अभियान के समय दीवारों पर या राष्ट्रीय उत्सव के समय देखा जा सकता है। इनकी कविताएं देश के प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक पढ़ी जा चुकी हैं। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के ग्राम पंचायत बिंझरा के रहने वाले गौतम जी एक गरीब परिवार से हैं और बिंझरा में ही 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त किए हैं।

अपनी कविताओं को सुनाते गौतम जी

कविताएं लिखने का शौक इन्हें 10वीं 11वीं से ही शुरू हो गया था, गौतम जी अपने आसपास के पर्यावरण, समाज, राजनीति आदि विषयों पर छोटी-छोटी कविताएं लिखना शुरू किए। वे बताते हैं कि अशिक्षा, नारी शक्ति और पर्यावरण अब उनका मुख्य विषय रहता है। वे चाहते हैं कि उनकी कविताओं के माध्यम से जन जागृति आए और समाज में बदलाव आए। गाँव के लोगों में शिक्षा का अभाव होता है, नारी शक्ति का आदर सत्कार गाँवों में उतना नहीं हो पाता है जितना के वे हकदार होते हैं। तो यह सब देखकर उनके मन में एक दुःख की भावना प्रकट होती रहती है। जिसे वे अपने कलम और कागज के माध्यम से कविताओं का रूप देते हैं। गौतम चंद्र बताते हैं कि वे पिछले 11-12 वर्षों में लगभग 100 से 150 कविताएं लिख चुके हैं।

दैनिक समाचार पत्र 'पत्रिका' में गौतम जी के बारे लिखा गया था।

सन 2012 -13 मई को इन्होंने सबसे पहले हमारे देश के राष्ट्रपति को पर्यावरण और नारी शक्ति के क्षेत्र में कविताएं लिखकर भेज चुके हैं। देश के प्रधानमंत्री को भी इन्होंने अपना पत्र के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए नारी शक्ति एवं पर्यावरण के विषय में कविताएं लिखकर भेजे हैं। केंद्रीय मंत्री चरण दास महंत को भी इन्होंने पत्र के माध्यम से कविताएं भेजी हैं। जिसमें उनके द्वारा आश्वासन दिया गया है कि पुस्तकों में इनकी कविताओं को जगह दी जाएगी, छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति मंत्रालय को इन्होंने पांच कविताएं भेजे हैं, जिसमें से इनकी एक कविता को बिहानिया नाम की पुस्तक में जगह देने की बात भी कही गई है।


गौतम चंद्र प्रजापति एक गरीब परिवार में जन्म होने के कारण यह अपनी कविताओं को पत्रों के माध्यम से कोशिश करते रहते हैं कि कहीं ना कहीं इनकी कविताएं किसी पुस्तकों में छापी जाएं। अपनी कविताओं के जरिए वे समाज में एक परिवर्तन लाना चाहते हैं ताकि समाज सशक्त हो, चाहे वह सामाजिक क्षेत्रों में हो, राजनीति के क्षेत्रों में हो या पर्यावरण के क्षेत्र में हो।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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