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Writer's pictureTikeshwari Diwan

जानिए छत्तीसगढ़ के एक बहुउपयोगी फल के बारे में जो कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ठीक करता है

नोट- यह आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है, इसके ज़रिये किसी भी प्रकार का उपचार सुझाने की कोशिश नहीं है। यह आदिवासियों की पारंपारिक वनस्पति पर आधारित अनुभव है। कृपया आप इसका इस्तेमाल किसी डॉक्टर को पूछे बगैर ना करें। इस दवाई का सेवन करने के परिणाम के लिए लेखक किसी भी प्रकार की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है।

छत्तीसगढ़ के जंगलों में एक ऐसा पेड़ पाया जाता है जिसके लोगों के लिए कई उपयोग हैं। इस पेड़ को बैहरा कहा जाता है और ऐसा माना जाता है की फल के प्रत्येक भाग में औषधीय गुण होते हैं। छत्तीसगढ़ के जिला गरियाबंद ग्राम बनगवाँ के रहने वाले आदिवासी श्री रवि कुमार ध्रुव है जिन्होंने हमें इस पेड़ की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वह रोज सुबह 6:00 बजे उठकर बैहरा के तलाश में जंगल की ओर जाते हैं। वन उत्पादों को इकट्ठा करना और बेचना उनकी आय का सबसे बड़ा स्रोत है।

रवि कुमार छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के निवासी हैं

रवि कुमार ने बताया की पेड़ में लगे हुवे फल को सुखने के बाद पेड़ से तोड़कर लाया जाता है। उसके बाद उसे अच्छी तरह से धोकर धूप में सुखा दिया जाता है। उसे कुछ दिनों तक सूखने देते हैं। फल सुख जाने के बाद, इस फल के छिलके को पत्थर या हथौड़ी के माध्यम से तोड़ कर बीज से अलग कर लिया जाता है। रवि कुमार के अनुसार बैहरा फल के दोनों हिस्से—छिलका और बीज—बहुत उपयोगी है। इसके छिलका से औषधि बनाया जाता है और बीज को पीस के तेल निकाला जाता है।

बैहरा का पेड:- यह वृक्ष बहुत ही ऊँचा होता है। इस वृक्ष की ऊंचाई अधिक होने के कारण उसमें लगा फल को एक लकड़ी के माध्यम से तोड़ा जाता है। इसका फल सुख जाने पर वह पेड़ से खुद-ब-खुद भी गिरने लगता है।


बैहरा से निकला बीज:- बैहरा से निकला बीज को 3 से 4 दिन धूप में सुखने देते है। इसलिए सुखने देते है ताकि बीज को मशीन मे डालते ही बीज से तेल असानी से प्राप्त हो जाऐ।


बैहरा तेल का उपयोग:- बैहरा तेल से घर में सब्जी और रोटी या व्यंजन बनाया जाता है। यह तेल गर्मी के दिनों में काफी राहत व आरामदायक ठंडी पहुंचाने के काम में आता है। जैसे कि अधिक गर्मी लगने पर या गर्मी के दिनों में परेशान हो जाने पर इस तेल का इस्तेमाल करने से ठंड महसूस होती है।


बैहरा के फायदे:- बैहरा से निकली बीज से एक पाउडर तैयार किया जाता है जो की दवाई बनाने के काम आता है। इस बीज को मशीन मे डाल कर एक चूरन तैयार करते हैं। यह पाउडर बवासीर की गोली बनाने में व दवाई बनाने में काम आता है। बैहरा के तेल व छिलका या इसके बीज से कई प्रकार की औषधियां बनाया जा सकता हैं।अगर आप भी इस बैहरा के तेल का उपयोग करना चाहते हैं या आपको बैहरा के बीज की आवश्यकता है तो आप हमसे संपर्क करें।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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