top of page
Ratna Agariya

आइये जानते हैं ऐसे पौधे के बारे में, जिसे आदिवासी औषधियों का राजा कहते हैं

आदि काल से आदिवासी जंगलों में मिलने वाले जड़ी बूटियों का इस्तेमाल अनेकों रूप में करते आए हैं। जड़ी-बूटियां आदिवासियों के जीवन का अभिन्न अंग हैं। ज्यादातर यह जड़ी-बूटियाँ जंगलों या खेतों में प्राकृतिक रूप में मिलती हैं,ऐसा ही एक पौधा है 'भुई नीम'। इस पौधे में ढेर सारे औषिधिए गुण हैं, अनेकों रोगों का इलाज इससे होता है।

भुई नीम का पौधा

भू नीम पहाड़ी क्षेत्र में हर जगह उपलब्ध होता है जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता हैl आदिवासी क्षेत्रों में समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की कमी के कारण ग्राम वैद्य द्वारा ही इलाज़ किया जाता है, इन्हें अनेकों जड़ी बूटियों की जानकारी होती है।


भू नीम के पौधे अधिक मात्रा में जंगलों में पाए जाते हैं, इसके पत्ते हरे एवं चिकने होते हैं। इसके पत्तियों का काढ़ा बनाकर या उन्हें सुखाकर छोटी-छोटी गोलियाँ बनाकर उपयोग किया जा सकता है। कई जगहों पर भुई नीम का प्रयोग साबुन बनाने में भी किया जाता है, इसके बने हुए साबुन का प्रयोग करने पर खाज-खुजली से छुटकारा मिल जाता है। भुई नीम के फूल मटर के फूल जैसा होते हैं एवं इसके फल लंबे होते हैं, फलों का भी चूर्ण बनाकर प्रयोग किया जाता है। इसके पत्तियों से लेकर जड़ तक प्रयोग औषिधि बनाने में किया जाता है।

हमने कोरबा जिला के एक छोटे से गाँव बांगो के निवासी 72 वर्षीय श्री बुद्धू राम अगरिया जी से बात की। बुद्धू जी गाँव के वैध हैं और विभिन्न प्रकार के जड़ी बूटियों का औषिधिए ज्ञान रखते हैं। अपने इन्हीं ज्ञान के द्वारा वे गाँव वालों को शारीरिक बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां उपलब्ध कराते हैं और लोगों का दुःख दूर करते हैं, इसके बदले लोगों के द्वारा उन्हें धन राशि भी प्रदान किया जाता है।

उनका कहना है कि, "भू नीम का जड़ से लेकर फूल, फल, पत्ती सभी हमारे शरीर के विभिन्न रोगों से छुटकारा दिलाने में काम आते हैं, जिसे काढ़ा बनाकर, गोली बनाकर ,पेस्ट बनाकर, पाउडर बनाकर उपयोग करके हम अपने बीमारी को दूर भगा सकते हैं। यह मलेरिया, टाइफाइड का रामबाण इलाज है इस कारण हम आदिवासी इसे औषधियों राजा कहते हैं l"

भुई नीम का पौधा का फूल और फल

यह भुई नीम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है।

कोरोना के मरीज़ों को भी इस पौधे से बने औषिधि ने काफ़ी फायदा पहुँचाया है।


भुई नीम के पौधे को घर के आसपास कहीं भी लगाया जा सकता है। इसके अनेक फायदे को देखते हुए प्रत्येक व्यक्ति के घर में यह पौधा ज़रूर होना चाहिए। भुई नीम जैसे अनेकों औषिधिए पौधों की जानकारी आदिवासी समुदाय को है, उनके इस जानकारी को दुनिया के सामने लाने की ज़रूरत है ताकि प्रत्येक लोग इस अद्भुत ज्ञान का लाभ ले सकें, और आदिवासियों को उनका उचित सम्मान मिल पाए।


यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अन्तर्गत लिखा गया है जिसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है l



Comments


bottom of page